PM Modi and Jinping Meeting: चीनी मीडिया ने पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मुलाकात को संबंधों में सुधार का संकेत बताया है। चीनी मीडिया ने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव का एक बिंदु थे और हाल ही में चीजों में सुधार हुआ है।
PM Modi and Jinping Meeting: 7 साल बाद पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय मीटिंग हुई। इस पर चीनी मीडिया ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधर रहे हैं। चीनी मीडिया बैठक को द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हाल ही में हुई प्रगति को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देख रही है। बता दें कि दोनों नेताओं के बीच पिछली बार साल 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे।
एक सीजीटीएन डिजिटल रिपोर्टर और चाइना ब्रीफिंग न्यूजलेटर के संस्थापक शेन शिवेई ने IANS को बताया कि सीमा के मुद्दे दोनों देशों के बीच तनाव का एक बिंदु थे और हाल ही में चीजों में सुधार हुआ है। उम्मीद है कि ऐसा करना जारी रहेगा। शिवेई ने इसे 'सबसे बड़ा SCO शिखर सम्मेलन' बताया।
उन्होंने कहा कि संगठन 'काफी बढ़ गया है और इसने बहुत ध्यान आकर्षित किया है। इस बार, दो महत्वपूर्ण चीजें मेज पर हैं। सभी नेताओं के बीच रणनीतिक संवाद, जिसमें बहुपक्षीय बैठकें और कई द्विपक्षीय चर्चाएं शामिल होंगी और तियानजिन घोषणा को मंजूरी दी जाएगी। यह अगले दशकों में संगठनों और सदस्य देशों के विकास और प्रगति के लिए एक मार्ग प्रशस्त करेगा।
शिखर सम्मेलन के भू-राजनीतिक प्रभाव पर विचार करते हुए, ब्राजील के फोल्हा डे साओ पाउलो के पत्रकार नेल्सन पैनसिनी डी सा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी, शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक साथ आना वाशिंगटन की टैरिफ धमकियों के प्रकाश में वैश्विक व्यवस्था को नया आकार देने में 'प्रतीकात्मक' साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि एससीओ एक रणनीतिक संगठन है और इस बार, भारत, चीन और रूस के बीच का सहयोग महत्वपूर्ण है। एक साथ आने वाले तीनों नेता बहुत मजबूत हैं। ये देश एशिया में बहुत बड़ी शक्ति हैं। एशिया भविष्य का महाद्वीप है और इन तीन देशों का साथ आना इस महाद्वीप के भविष्य के लिए निर्णायक हो सकता है। पुतिन भारत और चीन के बीच काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने आगे जोर दिया कि एससीओ शिखर सम्मेलन संभावित रूप से भारत-चीन सीमा के साथ अधिक स्थिरता ला सकता है। नेल्सन पैनसिनी डे सा ने कहा कि एससीओ ने इतने सालों से साबित किया है कि इसने संवाद के माध्यम से मध्य और दक्षिण एशिया में स्थिरता लाने में मदद की है। यह अभी भी देखा जाना बाकी है।