मोबाइल और वाई-फाई से निकलने वाली रेडिएशन खतरनाक होती है और इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग पर भी असर पड़ता है। हाल ही में इससे जुड़ी एक रिसर्च सामने आई है।
अमेरिका (United States of America) की येल यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी ने मोबाइल और वाई-फाई से निकलने वाली वायरलेस रेडिएशन को लेकर गंभीर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों ने पाया कि रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग के विकास में बाधा डाल सकता है। इसके अलावा ऑटिज़्म से जुड़े जीन भी इस रेडिएशन की वजह से ज़्यादा सक्रिय हो सकते हैं। जन्म के बाद इसका असर बच्चों में देखा जा सकता है।
येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 'ह्यूमन कॉर्टिकल ऑर्गेनॉइड्स' नाम के छोटे और लैब में तैयार दिमागी मॉडलों पर यह रिसर्च की। ये भ्रूण के दिमाग की नकल जैसे मॉडल हैं। रिसर्च में यह बताया गया कि रेडिएशन के संपर्क में आए न्यूरॉन्स (दिमागी कोशिकाएं) सामान्य तरीके से विकसित नहीं हुए। उनकी बनावट बदली हुई दिखी और उनमें वो जीन ज़्यादा सक्रिय पाए गए जो आमतौर पर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से जुड़े होते हैं।
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने इन 'ह्यूमन कॉर्टिकल ऑर्गेनॉइड्स' को ब्लूटूथ जैसी फ्रीक्वेंसी और बहुत कम शक्ति वाली वायरलेस रेडिएशन के संपर्क में रखा। यह स्तर अमेरिका में तय सीमा से लगभग 4,000 गुना कम था। इसके बावजूद वैज्ञानिकों ने पाया कि रेडिएशन के संपर्क में आए तंत्रिका और मस्तिष्क कोशिकाओं का विकास धीमा और बाधित हो गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं में रेडिएशन का जोखिम ज़्यादा होता है, क्योंकि इस समय दिमाग तेज़ी से विकसित हो रहा होता है और संवेदनशील होता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ बातों का ध्यान रखने से रेडिएशन के जोखिम से बचाव मुमकिन है। आइए इसके उपायों पर नज़र डालते हैं।
⦿ अभिभावक बच्चों को फोन से दूर रखें।
⦿ घर में वाई-फाई की बजाय वायर्ड इंटरनेट इस्तेमाल करें।
⦿ गर्भवती महिला फोन जेब में या पेट के पास बिल्कुल न रखें।
⦿ सोते वक्त फोन को बेड से कम-से-कम 2-3 मीटर दूर रखें।
⦿ प्रेग्नेंसी में ब्लूटूथ हेडसेट या वायरलेस ईयरबड्स भी कम से कम इस्तेमाल करें।