नासा ने अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक नया कीर्तिमान गढ़ दिया है। नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के बेहद करीब जाकर वो कर दिखाया जो पहले कभी नहीं हुआ था।
अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में नासा का पार्कर सोलर प्रोब लगातार नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। हाल ही में यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य के बेहद नज़दीक चक्कर लगाकर गुज़रा। ऐसा करते हुए इस स्पेसक्राफ्ट ने वो कर दिखाया जो पहले कभी नहीं हुआ। इस दौरान पार्कर सोलर प्रोब ने 6.87 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगाया। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी तेज़ गति का मतलब है कि अगर यह स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी पर दौड़ता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी सिर्फ 19 सेकंड में तय कर लेता।
नासा के इस मिशन का उद्देश्य ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली पिंड सूर्य को करीब से जानने और समझना है। सूर्य के बारे में अभी भी कई अनसुलझी गुत्थियाँ हैं, जिन्हें नासा सुलझाने की कोशिश कर रहा है और यह मिशन उसी दिशा में एक कदम है।
फिलहाल सूर्य अपने 11 साल के सक्रिय चक्र में प्रवेश कर चुका है। इस दौर में सूर्य पर विस्फोटक गतिविधियाँ ज़्यादा होती हैं। ऐसे में पार्कर सोलर प्रोब का काम और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे न सिर्फ सूर्य के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि अंतरिक्ष यात्रा और पृथ्वी पर तकनीकी ढांचे को सुरक्षित बनाने के उपाय भी खोजे जा सकेंगे।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब पार्कर सोलर प्रोब ने इतनी रफ्तार हासिल की है। पार्कर सोलर प्रोब ने एक साल के दौरान चौथी बार इतनी गति हासिल की है। इससे पहले यह 24 दिसंबर 2024, 22 मार्च 2025 और 19 जून 2025 को भी पार्कर सोलर प्रोब इसी रफ्तार तक पहुंच चुका है। हर बार जब यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य के करीब जाता है, तो इसकी रफ्तार और ताप झेलने की क्षमता परखने का मौका मिलता है।
पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के बाहरी वातावरण से होकर गुज़र रहा है। यहाँ से यह स्पेसक्राफ्ट सूर्य की सोलर विंड, फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन जैसी घटनाओं पर बारीकी से डेटा इकट्ठा कर रहा है। यह जानकारी पृथ्वी पर पड़ने वाले स्पेस वेदर के असर को समझने और उसका पूर्वानुमान लगाने के लिए अहम है। स्पेस वेदर कई बार हमारे उपग्रहों, संचार तंत्र और बिजली ग्रिड तक को प्रभावित कर सकता है।