Nepal Army statement on political crisis: नेपाल में युवा आंदोलन और नेताओं के इस्तीफे के बाद पहली बार सेना ने चुप्पी तोड़ी है। सेनाध्यक्ष ने कहा कि सेना लोकतंत्र और संविधान के साथ है, लेकिन जरूरत पड़ी तो स्थिति संभालने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
Nepal Army statement on political crisis: नेपाल में युवा विरोध प्रदर्शनों के बीच राजधानी काठमांडू में उग्र हिंसा भड़क उठी है। प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कई वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ चार पूर्व प्रधानमंत्रियों के घरों पर भी हमला कर उन्हें आग के हवाले करने के चलते नेपाल में चल रहे राजनीतिक और सामाजिक तनाव के बीच देश की सेना (Nepal Army statement on political crisis) पहली बार खुल कर सामने आई है। नेपाल के सेनाध्यक्ष जनरल अशोकराज सिग्देल (Ashok Raj Sigdel) ने देशवासियों को संबोधित करते हुए शांति, एकता और लोकतंत्र को बचाने की अपील की है। उन्होंने आंदोलन स्थगित करने की अपील करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी बातचीत करने के लिए आएं। ध्यान रहे कि नेपाल में इस हिंसा का मुख्य कारण सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और युवाओं की नाराज़गी है। कई लोग मारे गए, हजारों घायल हुए, और राजनीतिक तंत्र पूरी तरह हिल गया है।
सेनाध्यक्ष ने अपने संदेश में कहा,"हमारी सेना देश की अखंडता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम किसी भी हाल में जनता के खिलाफ नहीं जाएंगे, लेकिन अगर देश की सुरक्षा और संविधान पर खतरा आता है, तो हम कर्तव्य निभाने से पीछे नहीं हटेंगे।"
उन्होंने यह भी साफ किया कि सेना लोकतंत्र और संविधान का सम्मान करती है, लेकिन अगर हालात काबू से बाहर हुए या कोई बाहरी या आतंरिक ताकत देश की शांति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती है, तो सेना जरूरी कदम उठाने में हिचकेगी नहीं।
नेपाल में बीते कुछ महीनों से ‘जेन ज़ेड’ युवा आंदोलन के जरिए भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ जबरदस्त विरोध हो रहा है। कई जगहों पर हालात इतने बिगड़े कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। ऐसे माहौल में सेना की भूमिका को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।
सेना ने अब स्पष्ट किया है कि वह फिलहाल राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, लेकिन देश के कानून और संविधान के अनुसार अगर जरूरत पड़ी तो कार्रवाई की जाएगी।
सेनाध्यक्ष ने खास तौर पर यह भी कहा कि,"सेना को राजनीति में घसीटना बंद किया जाए। हमारी प्राथमिकता राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा है।" यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि कई राजनीतिक दल सेना को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे थे।
नेपाल में मौजूदा हालात को लेकर भारत, चीन और अमेरिका जैसे पड़ोसी और बड़े देशों की भी नजर बनी हुई है। सेना के इस बयान से यह संकेत मिला है कि नेपाल में फौजी तख्तापलट की संभावना नहीं है, लेकिन यदि प्रदर्शन हिंसक रूप लेता है, तो स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए सेना एक्शन में आ सकती है।
बहरहाल सेना का यह बयान नेपाल के मौजूदा संकट में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। यह साफ हो गया है कि सेना लोकतंत्र और शांति के साथ है, लेकिन देश की एकता के लिए सख्ती करने से भी पीछे नहीं हटेगी।