Press Freedom: पाकिस्तान में पत्रकारों पर हमले और प्रेस की आजादी का हनन चिंताजनक है। सरकार के दावों के बावजूद, पत्रकार डर के साये में काम करते हैं और सच्चाई उजागर करने की सजा भुगतते हैं।
Press Freedom: पाकिस्तान में पत्रकारों (Pakistan Media) के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। इस करंट इश्यू पर स्थानीय पत्रकार मुहम्मद मनाफ ने पाकिस्तान में पत्रकारों के खिलाफ हमलों और उत्पीड़न की निरंतर प्रवृत्ति की निंदा करते हुए कहा है कि कहा कि देश में प्रेस की आजादी (Press Freedom)सिर्फ नाम की है। पत्रकारों को (Journalists Targeted) रोज डर और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका काम समाज की समस्याओं को सामने लाना है, लेकिन कुछ लोग इसे बर्दाश्त नहीं कर रहे। इस वजह से पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है, और कई बार उनकी जान तक ले ली जाती है। मनाफ ने पाकिस्तान में पत्रकारों की ओर से प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के खिलाफ रैली निकालने के मदृेनजर कहा, “लोग कहते हैं कि मीडिया आजाद है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। यहाँ पत्रकार अपनी बात खुल कर नहीं कह सकते।”
पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है। मनाफ के अनुसार, जब किसी पत्रकार पर हमला होता है, तो सरकार कार्रवाई का वादा तो करती है, लेकिन न्याय मिलना मुश्किल होता है। इस कारण पत्रकार डर के साये में काम करते हैं। कई बार उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए खबरों को छिपाना पड़ता है। मनाफ ने बताया कि सरकार के दावों के बावजूद पत्रकारों को वह सम्मान और सुरक्षा नहीं मिलती, जिसके वे हकदार हैं।
पाकिस्तान में पत्रकारिता लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। फिर भी, पत्रकारों को समाज के आम लोगों जैसा व्यवहार मिलता है, न कि सच्चाई के रक्षक के रूप में। मनाफ ने सरकार से मांग की है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए जाएं। साथ ही, हमलावरों को सजा देने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा, “पत्रकार समाज की आवाज हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।”
प्रेस स्वतंत्रता संगठनों ने भी पाकिस्तान की स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह देश पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक स्थानों में से एक है। पत्रकारों पर हमले और सेंसरशिप की वजह से सच्चाई सामने लाना मुश्किल हो गया है। मनाफ की बातें इस बात की याद दिलाती हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दावों के बावजूद, पाकिस्तान में पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। उनका एकमात्र अपराध है सत्य को उजागर करना।
पाकिस्तान में प्रेस की आजादी पर संकट गहरा चुका है। हाल के वर्षों में पत्रकारों पर हमले, गिरफ्तारियां, सेंसरशिप और कानूनी दबाव बढ़े हैं। 2025 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में पाकिस्तान 158वें स्थान पर खिसक गया, जो 'बहुत गंभीर स्थिति' को दर्शाता है। मुख्य कारणों में सैन्य और राजनीतिक हस्तक्षेप, PECA (प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट) जैसे कठोर कानूनों के संशोधन, आर्थिक दबाव और पत्रकारों की हत्याएं शामिल हैं। इनसे पत्रकारों को आत्म-सेंसरशिप अपनानी पड़ रही है, और सच्चाई उजागर करना जोखिम भरा हो गया है।
इस संकट ने न केवल मीडिया को कमजोर किया है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024-25 में 34 से अधिक गंभीर उल्लंघन हुए, जिनमें 7 पत्रकारों की हत्या शामिल है। दक्षिण पंजाब जैसे क्षेत्रों में पत्रकारों को सामंती, राजनीतिक और कट्टरपंथी ताकतों से खतरा है। सरकार के दावों के बावजूद, न्याय मिलना दुर्लभ है, जो भय का माहौल पैदा कर रहा है।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF): 2025 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी कर पाकिस्तान की रैंकिंग पर चिंता जताई, आर्थिक दबाव और सेंसरशिप को प्रमुख खतरा बताया।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (IFJ): PECA संशोधनों की निंदा की, सुप्रीम कोर्ट से कानून की समीक्षा की मांग की; 2024-25 रिपोर्ट में 34 उल्लंघनों का उल्लेख।
फ्रीडम हाउस: फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2025 रिपोर्ट में मीडिया पर सैन्य-राजनीतिक नियंत्रण की आलोचना की।
कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ): पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता, हत्याओं और हमलों पर रिपोर्ट जारी।
पाकिस्तान प्रेस फाउंडेशन (PPF): 2024 में हिंसा, इंटरनेट शटडाउन और प्रतिबंधात्मक नीतियों पर वर्षांत रिपोर्ट जारी।
फ्रीडम नेटवर्क (FN): दक्षिण पंजाब में पत्रकारों के लिए 'अत्यधिक जोखिम' वाली रिपोर्ट जारी, हिंसा और सेंसरशिप पर फोकस।
एक्सेस नाउ: डिजिटल अधिकारों पर चिंता, PECA के ऑनलाइन अभिव्यक्ति पर प्रभाव की निंदा।
एमनेस्टी इंटरनेशनल: 2025 रिपोर्ट में पत्रकारों की गिरफ्तारी और गायब करने को मानवाधिकार उल्लंघन बताया। ये संगठन लगातार अपील कर रहे हैं कि पाकिस्तान सरकार पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दमनकारी कानूनों को हटाए। बिना तत्काल कदमों के, प्रेस की आजादी पूरी तरह खतरे में पड़ सकती है।
बहरहाल पाकिस्तान में प्रेस की आजादी को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के बिना लोकतंत्र अधूरा है। सरकार को चाहिए कि वह पत्रकारों के लिए सुरक्षित माहौल बनाए और हमलावरों को सजा दे। तभी देश में सच्चाई की आवाज को बुलंद रखा जा सकता है। (एएनआई)