भारत के सिंधु जल समझौता रद्द करने से पाकिस्तान में पानी का संकट गहराता जा रहा है। इस मामले पर अब पाकिस्तानी डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक बड़ा बयान दिया है।
भारत (India) ने जब से पाकिस्तान (Pakistan) के साथ सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) रद्द करने का फैसला लिया है, पाकिस्तान की चिंता काफी बढ़ गई है। भारत की इस 'वॉटर स्ट्राइक' से पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है। गौरतलब है कि भारत ने 'पहलगाम आतंकी हमले' के बाद सिंधु जल समझौते को तुरंत रद्द कर दिया था और पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया था। भारत के इस कदम से पाकिस्तान में पानी का संकट गहराता जा रहा है। इस मामले पर पाकिस्तानी डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार (Ishaq Dar) ने चिंता जताई है।
डार ने ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्टीरियल फोरम राउंडटेबल में इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि "भारत सिंधु नदी का पानी रोक सकता है और ऐसा करना इलाके की स्थिरता के लिए खतरा है।" डार का बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में जारी सिडनी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की ’इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट 2025’ में बताया गया था कि भारत अपनी सीमा में बने बांधों के ज़रिए सिंधु और अन्य सहायक नदियों का जल प्रवाह बाधित कर पाकिस्तान में सूखे और बाढ़ के हालात पैदा कर सकता है।
डार ने इस मामले पर यूरोपीय देशों से मदद मांगी है और गुहार लगाई है कि वो भारत से सिंधु जल समझौते को रद्द करने के फैसले को वापस लेने की बात करें। सिंधु जल समझौता रद्द होने से पाकिस्तान के पंजाब (Punjab) और सिंध (Sindh) प्रांत में संकट गहराता जा रहा है। इन दोनों प्रांतों में खेती, बिजली उत्पादन, कपड़ा, चीनी, फल-सब्जी प्रसंस्करण जैसे उद्योगों को काफी नुकसान हो सकता है।
सिंधु जल समझौता रद्द होना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है। सिंधु और इससे जुड़ी नदियाँ सिर्फ पाकिस्तानी जनजीवन के लिए ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी ज़रूरी है। इसके अभाव में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 4-8 लाख करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है।