Condition Of Minorities In Pakistan: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ खूनी खेल जारी है। यहां एक पादरी की खुलेआम निर्मम हत्या कर दी गई। ईसाई समुदाय डर के साए में जी रहा है। यही हाल अन्य धर्म के अल्पसंख्यकों का भी है।
Minorities In Pakistan: पड़ोसी देश पाकिस्तान में हालात दिन-ब-दिन और खतरनाक होते जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का ऐसा दौर शुरू हो चुका है कि लोग रोजाना डर और दहशत में जीने को मजबूर हैं। चुन-चुनकर निर्मम हत्याएं की जा रही हैं। हाल ही में एक पादरी अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने जा रहे थे, तभी अचानक उन पर हमला कर दिया गया, जिसमें उनकी जान चली गई। पाकिस्तान में दिल दहलाने वाली घटनाओं का सिलसिला लगातार जारी है। सवाल यह है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक आखिर कब तक इस खूनी खेल का शिकार बनते रहेंगे?
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर मानवाधिकार संगठन वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (VOPM) ने एक पादरी की हत्या पर कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन ने बताया कि 5 दिसंबर को पादरी कामरान पर हमला किया गया। वह अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने के लिए घर से निकले ही थे कि बाइक पर आए हमलावरों ने उनकी कार के पास रुककर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई। जिसके बाद उन्हें तुरंत पंजाब प्रांत के गुजरांवाला के जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस वारदात के बाद पूरा ईसाई समुदाय सदमे में है। पादरी कामरान अपने पीछे पत्नी सल्मिना और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं।
मानवाधिकार संगठन (वीओपीएम) ने कहा कि पादरी कामरान की मौत इसलिए और ज्यादा दुखद है क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया था। अक्टूबर में भी उनके साथ हिंसा हुई थी। सिर्फ दो महीने पहले इस्लामाबाद में कट्टरपंथियों ने उन पर गोलियां चलाई थीं। उस समय वे घायल हुए थे, लेकिन बच गए थे।
संगठन का कहना है कि इस बेरहमी से की गई हत्या ने पाकिस्तान के ईसाई समुदाय को और ज्यादा डरा दिया है। यह समुदाय पहले से ही डर और हिंसा के माहौल में जी रहा है। पादरी कामरान की मौत कोई एक घटना नहीं, बल्कि उन लोगों पर बढ़ते हमलों का हिस्सा है जो मुश्किल हालात में अपने धर्म और विश्वास के साथ खड़े रहते हैं। उनके परिवार का दर्द पूरे समुदाय को झकझोर रहा है।
मानवाधिकार संगठन ने कहा कि भले ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन स्थानीय प्रशासन के ढीले रवैये की वजह से लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद कम दिखाई देती है। संगठन के मुताबिक पादरी कामरान की हत्या साफ दिखाती है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक हाशिये पर हैं, अपराधियों को सजा न मिलना इस समाज की मजबूरी और बेबसी को दर्शाता है।