Bangladesh-India Relations: बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने हाल ही में एक बयान में कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
Bangladesh-India Relations: बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार (Foreign Advisor), मोहम्मद तौहीद हुसैन ने हाल ही में कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद भारत के साथ बांग्लादेश के रिश्ते (Bangladesh-India Relations) में बदलाव आ गया है। वहीं 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया था, जिसे बांग्लादेश (Bangladesh) ने गंभीरता से लिया था। हुसैन ने ढाका में आयोजित एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ वास्तविक मधुर रिश्ते रखना चाहता है।उन्होंने कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ वास्तविक मधुर रिश्ते रखना चाहता है हम भारत के साथ नये सिरे से नये रिश्ते बनाना चाहते हैं।
मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि इस घटना से बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में कुछ तनाव पैदा किया है। खासकर कश्मीर मुद्दे (Kashmir Issue) को लेकर यह तनाव पैदा हुआ है। बांग्लादेश ने भारत के इस कदम का विरोध करते हुए इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया था। इसके बाद, दोनों देशों के बीच कुछ कूटनीतिक बातचीत में कमी आई और रिश्ते अधिक तनावपूर्ण हो गए थे।
हालांकि, बांग्लादेश ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, और इन रिश्तों को सुधारने के लिए बातचीत और सहयोग की आवश्यकता है। 5 अगस्त के बाद, बांग्लादेश ने अधिक सतर्कता बरतते हुए भारत के साथ अपनी नीतियों पर पुनर्विचार किया, लेकिन दोनों देशों के बीच सहयोग जारी रखने का संकल्प भी व्यक्त किया।
बांग्लादेश ने भारत के इस कदम का विरोध किया था, खासकर कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद वहां की स्थिति को लेकर विरोध किया था। बांग्लादेश ने इसे न केवल कश्मीरियों के अधिकारों का उल्लंघन माना, बल्कि इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक बड़ा खतरा बताया था। इसके बाद से, बांग्लादेश ने भारत के साथ अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार किया और दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया।
बांग्लादेश ने गत 5 अगस्त 2019 के बाद, भारत के साथ अपनी विदेश नीति में सतर्कता बरतने की कोशिश की। बांग्लादेश ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर बांग्लादेश के रुख में बदलाव आया था, और भारत के साथ संबंधों में ताजगी और गर्मजोशी की कमी महसूस की गई। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेश भारत के साथ अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को महत्व देता है और इस रिश्ते को सुधारने की आवश्यकता महसूस की गई।
भारत और बांग्लादेश के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। खासकर 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत की ओर स बांग्लादेश का समर्थन करने के बाद ऐसा हुआ है। इसके अलावा, बांग्लादेश और भारत के बीच व्यापार, सुरक्षा और जल स्रोतों के मुद्दों पर भी कई सहयोग हैं। बावजूद इसके 5 अगस्त के बाद कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्तों में एक निश्चित दूरी बन गई है।
मोहम्मद तौहीद हुसैन ने इस बात को भी रेखांकित किया कि बांग्लादेश और भारत के बीच संवाद और सहयोग जरूरी है। कश्मीर मुद्दे पर अपनी स्थिति के बावजूद, बांग्लादेश ने भारत के साथ रिश्तों में सुधार के लिए बातचीत के रास्ते खुले रखने की बात की है। दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा, व्यापार और जल संसाधनों पर सहयोग जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर दोनों देशों को एक दूसरे के साथ मिल कर काम करना चाहिए।