वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक रिसर्च में दिमाग के बारे में एक बड़ा खुलासा किया है। क्या है यह खुलासा? आइए जानते हैं।
ज़िंदगी की किताब में कुछ पन्ने ऐसे होते हैं जो कभी फीके नहीं पड़ते, जबकि कई बातें पल भर में हवा हो जाती है। कभी किसी खुशी के लम्हे की याद दिल को गुदगुदा देती है तो दर्दनाक घटना की याद रग-रग में सिहरन भर देती है। आखिर क्यों कुछ बातें दिमाग में पत्थर की लकीर बन जाती है, जबकि बाकी रेत पर लिखी इबारत की तरह मिट जाती है? इसका जवाब बॉस्टन यूनिवर्सिटी की एक नई रिसर्च से मिल गया है।
वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार हमारा दिमाग हर याद को तोलता है और तय करता है कि किसे संभाल कर रखना है और किसे भुला देना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब हमारी साधारण यादें किसी बड़ी या भावनात्मक घटना से जुड़ जाती है, तो वो मज़बूत होकर दिमाग में सुरक्षित हो जाती है। हमारा दिमाग केवल रिकॉर्डिंग मशीन नहीं है। यह खुद तय करता है कि उसके लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं।
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में लगभग 650 लोगों पर 10 अलग-अलग प्रयोग किए। इन प्रयोगों में पता चला कि दिमाग को कौन सी यादें बचानी हैं और कौनसी नहीं। इसके लिए दिमाग एक तरह का स्लाइडिंग स्केल इस्तेमाल करता है।
जब कोई बड़ा भावनात्मक पल घटता है, तो उसके बाद की चीजें भी ज़्यादा अच्छी तरह याद रहती हैं। जितना मज़बूत भावनात्मक असर, उतनी मज़बूत याद। बड़ी घटना से ठीक पहले की साधारण चीज़ें तब ज़्यादा टिकती हैं जब उनका कोई संबंध उस खास पल से हो।