
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फोटो: IANS)
India Russia Nuclear Power Plant: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत में रूस-डिज़ाइन वाले दूसरे परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा (Modi Putin Energy Talks) की है। भारतीय पक्ष ने परियोजना के लिए साइट आवंटित करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान रूस ने प्रस्ताव रखा कि भारत Su-57 लड़ाकू विमानों का स्थानीय उत्पादन करे। यह दौरा भारत-रूस ऊर्जा और रक्षा सहयोग को और मजबूत करने वाला माना जा रहा है। इस वार्ता से यह संकेत मिला है कि रूस और भारत 2025 में अपने परमाणु ऊर्जा सहयोग (India Russia Nuclear Cooperation) को अगले स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध(India Russia Nuclear Power Plant) में रूसी कंपनी रोसाटोम Rosatom और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (Nuclear Power Corporation) बातचीत कर रहे हैं। यह भारत में दूसरा रूसी-डिज़ाइन वाला परमाणु संयंत्र होगा।
भारत का पहला परमाणु संयंत्र तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (TARAPUR NUCLEAR POWER STATION) महाराष्ट्र के तारापुर में है। यह 1969 में चालू किया गया और यह भारत का पहला वाणिज्यिक परमाणु संयंत्र था। इसमें प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन और हल्के पानी का उपयोग किया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह भारत को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है। साथ ही, विद्युत उत्पादन के साथ-साथ यह संयंत्र परमाणु सुरक्षा और अनुसंधान के लिए भी एक मॉडल के रूप में कार्य करता है।
इस संयंत्र के निर्माण में अमेरिका की मदद और बाद में भारत की स्थानीय इंजीनियरिंग का योगदान रहा। उस समय इसका निर्माण खर्च लगभग 80 करोड़ रुपये था। तारापुर संयंत्र की प्रारंभिक क्षमता 2×210 मेगावॉट यानि कुल 420 मेगावॉट थी। यह संयंत्र भारत के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में पहला कदम साबित हुआ।
इस नए संयंत्र की संभावित साइट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे पहले से निर्धारित परमाणु ऊर्जा जोन या तटीय क्षेत्र में बनाया जा सकता है। परियोजना के लिए 2026–2027 में स्वीकृति और तकनीकी दस्तावेज तैयार होने की उम्मीद है। इसके बाद निर्माण शुरू किया जाएगा।
नया संयंत्र आधुनिक VVER-1200 रिएक्टर पर आधारित होगा, जो रूस और अन्य देशों में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) पर भी विचार कर रहा है। छोटे रिएक्टर तेज़ निर्माण, कम लागत और कम बिजली दर के लिए लाभदायक हैं।
इस परियोजना की मुख्य जिम्मेदारी रूस की रोसाटोम Rosatom लेगी। भारत की ओर से DAE और NPCIL परियोजना का प्रबंधन करेंगे। यदि SMR मॉडल चुना गया, तो "मेक इन इंडिया" पहल के तहत स्थानीय उद्योग भी इसमें भाग लेंगे।
पहले बने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) की लागत ₹17,270 करोड़ थी। नए संयंत्र की लागत इससे अधिक हो सकती है। SMR मॉडल से लागत और निर्माण समय में कमी आएगी। दोनों देश ईंधन आपूर्ति, उपकरण और निर्माण सामग्री में सहयोग करेंगे।
भारत का 2070 तक परमाणु ऊर्जा लक्ष्य 100 GW है। नया संयंत्र और SMR विकल्प देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाएंगे। कोयले और तेल पर निर्भरता कम होगी और स्वच्छ बिजली उपलब्ध होगी। "मेक इन इंडिया" पहल के तहत स्थानीय भागीदारी से नौकरियों और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
परमाणु संयंत्र के लिए उपयुक्त साइट, पर्यावरणीय सुरक्षा और सामाजिक स्वीकृति जरूरी है। SMR मॉडल अपनाने पर स्थानीय विनिर्माण और सुरक्षा मानकों पर ध्यान देना होगा। परियोजना की लागत, समय और ईंधन आपूर्ति शर्तें भी साफ होनी चाहिए।
बहरहाल, भारत में दूसरा रूसी परमाणु संयंत्र ऊर्जा, स्वच्छ बिजली और रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए बड़ा कदम होगा। आधुनिक रिएक्टर और SMR विकल्प के साथ यह परियोजना भारत को वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर और मजबूत बनाएगी।
Updated on:
05 Dec 2025 08:42 pm
Published on:
05 Dec 2025 08:40 pm
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