विदेश

शेख हसीना ने मौत की सजा पर कहा, यह अन्यायपूर्ण, नहीं दिया गया…,बांग्लादेश में बवाल शुरू

Hasina Death Sentence Reaction: शेख हसीना को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT) ने 17 नवंबर 2025 को मौत की सजा सुनाई।

3 min read
Nov 17, 2025
Sheikh Hasina

Hasina Death Sentence Reaction: बांग्लादेश के ICT ने शेख हसीना (Sheikh Hasina) को जुलाई-अगस्त 2024 विद्रोह में मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी (Sheikh Hasina Reaction) मान कर मौत की सजा (Hasina Death Sentence) सुनाई है। भारत में निर्वासन के दौरान हसीना ने फैसले को “पक्षपाती और धांधली भरा” बताया, कहा – बचाव का कोई मौका नहीं मिला। उन्होंने यूनुस सरकार पर “चरमपंथी और हत्यारी मंशा” (Yunus Government Trial)का आरोप लगाया और ICC में निष्पक्ष ट्रायल की चुनौती दी।ढाका में फैसले पर पीड़ितों ने जश्न मनाया तो अवामी लीग समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया, देश में फिर बवाल बढ़ गया। ध्यान रहे कि बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT Bangladesh Verdict) ने 17 नवंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी। लेकिन हसीना ने भारत में निर्वासन के दौरान ही तीखा जवाब दिया।

ये भी पढ़ें

Delhi Blast: पूर्व बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने की दिल्ली धमाके की कड़ी निंदा, कहा – “मानवता का दुश्मन है आतंकवाद”

बचाव का कोई मौका ही नहीं मिला

उन्होंने फैसले को "पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित" बताते हुए कहा कि ICT एक "धांधली वाली अदालत" है, जहां उन्हें बचाव का कोई मौका ही नहीं मिला। हसीना ने उन पर लगाए गए सभी आरोपों से साफ इनकार किया और कहा, "ये चरमपंथियों की खुली हत्या की मंशा दिखाता है।" इस बयान के बाद ढाका में फिर तनाव बढ़ गया, जहां पीड़ित परिवारों ने कोर्ट में जश्न मनाया, लेकिन अवामी लीग समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया।

चंद मिनटों में आया हसीना का बयान

हसीना का बयान कुछ ही मिनटों में जारी हुआ। उन्होंने कहा, "मैं ICT के सभी आरोपों का पूरी तरह खंडन करती हूं। जुलाई-अगस्त 2024 की हिंसा में हुई मौतों पर शोक है, लेकिन न मैंने और न ही किसी अन्य नेता ने प्रदर्शनकारियों को मारने का आदेश दिया।" उन्होंने ICT को "अंतरराष्ट्रीय" नाम का मजाक बताया, क्योंकि इसमें निष्पक्षता का कोई नामोनिशान नहीं है। हसीना ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी अवामी लीग और खुद को बचाव का "उचित मौका" नहीं दिया गया।

ICT को "कंगारू कोर्ट" बताया, तीन बड़े तथ्य गिनाए

हसीना ने फैसले के खिलाफ तीन अहम पॉइंट्स रखे। पहला, जिन वरिष्ठ जजों या वकीलों ने पहले सहानुभूति दिखाई थी, उन्हें हटा दिया गया या धमकियां दी गईं। दूसरा, ICT ने सिर्फ अवामी लीग के सदस्यों पर मुकदमे चलाए, जबकि अन्य दलों के अपराधियों को छोड़ दिया गया। तीसरा, धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों के दोषियों की जांच तक नहीं हुई। हसीना ने कहा, "ये सब साबित तथ्य हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मीडिया, एनजीओ और IMF जैसे संस्थानों ने पुष्टि की है।"

'लाखों बांग्लादेशी मूर्ख नहीं बनेंगे'

उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर निशाना साधा। "यूनुस के अराजक और हिंसक प्रशासन के तहत लाखों बांग्लादेशी मूर्ख नहीं बनेंगे। ये मुकदमे न्याय के लिए नहीं, बल्कि अवामी लीग को कुचलने और यूनुस की नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए हैं।" हसीना ने याद दिलाया कि यूनुस को कोई वोट नहीं मिला, फिर भी वो सत्ता में हैं।

यूनुस सरकार को ICC में ट्रायल की खुली चुनौती

हसीना ने साफ कहा कि वो "निष्पक्ष ट्रिब्यूनल" में सुबूतों का सामना करने से नहीं डरतीं। उन्होंने यूनुस सरकार को बार-बार चुनौती दी कि आरोपों को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में ले जाएं। "वहां सुबूतों की निष्पक्ष जांच होगी।" उनका यह बयान भारत में रहते हुए आया, जहां वो अगस्त 2024 से निर्वासन में हैं। बांग्लादेश ने कई बार प्रत्यर्पण मांगा, लेकिन भारत ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया।

बांग्लादेश में क्या हो रहा है ? कोर्ट में तालियां, सड़कों पर हंगामा

ICT की तीन सदस्यीय बेंच ने जस्टिस मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अगुवाई में फैसला सुनाया। हसीना के अलावा पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा, जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अल-मामून को 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई। अल-मामून ने गवाही देकर हसीना के खिलाफ पलटा था। कोर्ट में पीड़ित परिवारों ने तालियां बजाईं, लेकिन बाहर अवामी लीग समर्थकों ने विरोध जुलूस निकाले। यूनुस सरकार ने इसे "ऐतिहासिक न्याय" बताया, लेकिन सुरक्षा के लिए ढाका में शूट-एट-साइट ऑर्डर जारी हैं। फरवरी 2026 चुनाव से पहले ये फैसला नई अशांति पैदा कर सकता है।

मानवाधिकार संगठनों ने ICT की निष्पक्षता पर सवाल उठाए

इधर हसीना ने अपने 50 साल के सफर को याद करते हुए कहा, "1971 में जो नहीं आया, वो अब भी नहीं आएगा।" उनके सहयोगी इसे "पटकथा" बता रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने ICT की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि यह हसीना ने ही बनाया था। अब अपील की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

Also Read
View All

अगली खबर