China-Taiwan Conflict: चीन ने ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्याभ्यास की शुरुआत कर दी है। ऐसे में ताइवान ने एक बड़ा कदम उठाया है।
चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) शुरू होने के बाद से ही लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए थे कि चीन भी ताइवान पर कब्ज़ा जमाने के लिए हमला कर सकता है। हालांकि चीन ने ताइवान पर अब तक हमला नहीं किया है, पर समय-समय पर अपनी हरकतों से ताइवान को चेताने का मौका भी नहीं छोड़ा है। इसी बीच अब चीन ने ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्याभ्यास की शुरुआत कर दी है।
चीन के इस कदम से ताइवान अलर्ट मोड पर है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ताइवान ने सेना तैनात कर दी है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है।
चीन ने अपने सैन्याभ्यास को 'जस्टिस मिशन 2025' नाम दिया है। इसके तहत चीन, ताइवान के आसपास जल और हवाई क्षेत्र के 5 ज़ोन में सैन्याभ्यास कर रहा है। सैन्याभ्यास में लाइव-फायर ड्रिल्स, पोर्ट ब्लॉकेड सिमुलेशन, संयुक्त हमले और बहु-दिशात्मक घेराबंदी का अभ्यास शामिल है। इसमें चीन की आर्मी, एयरफोर्स और नेवी, तीनों सेनाएं हिस्सा ले रही हैं और खतरनाक हथियारों की भी टेस्टिंग की जा रही है। ताइवान ने इसे चीन की 'सैन्य धमकी' बताते हुए निंदा की है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने ताइवान के आसपास सैन्याभ्यास किया है। पिछले तीन साल में चीन कई बार ऐसा कर चुका है।
मेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही ताइवान को 11 बिलियन डॉलर (करीब 99 हज़ार करोड़) के हथियार देने का फैसला लिया है। इन हथियारों की बिक्री जल्द ही शुरू की जाएगी, जिससे ताइवान की सैन्य ताकत बढ़ाई जा सके। इसी वजह से चीन ने ताइवान के आसपास सैन्याभ्यास करने का फैसला लिया है।
दरअसल चीन और ताइवान 1949 में एक-दूसरे से अलग हो गए थे। तभी से ताइवान अपना स्वतंत्र अस्तित्व मानता है और खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। दूसरे कई देश भी ताइवान को एक स्वतंत्र देश मानते हैं। वहीं चीन इसका विरोध करता है और ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। दोनों देशों के बीच विवाद की यही वजह है जिसकी वजह से दोनों देशों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।