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अफगानिस्तान में तालिबान शासन को 4 साल पूरे

4 Years Of Taliban Rule In Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आज 4 साल पूरे हो गए हैं।

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Aug 15, 2025
अफगानिस्तान में तालिबान आतंकी (फोटो - वॉशिंगटन पोस्ट)

तालिबान (Taliban) दुनियाभर में सबसे खूंखार आतंकी संगठनों में से एक है। अफगानिस्तान (Afghanistan) बेस्ड इस्लामिक आतंकी संगठन तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अपने देश में तख्तापलट करते हुए सत्ता पर कब्ज़ा जमा लिया था। तब से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन चल रहा है। आज, 15 अगस्त 2025 को अफगानिस्तान में तालिबान शासन को 4 साल पूरे हो गए हैं।

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तत्कालीन राष्ट्रपति देश छोड़कर भागे थे

तालिबान लड़ाकों के अफगान राजधानी काबुल में घुसते ही तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) को समझ आ गया था कि वह तालिबान को रोक नहीं सकते और अगर वह पकड़े गए, तो उनकी जान नहीं बचेगी। ऐसे में गनी, हेलीकॉप्टर में सवार होकर अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए थे। अपने परिवार के साथ गनी पहले उज्बेकिस्तान के तेरमेज़ पहुंचे और फिर संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी चले गए, जहां उन्हें और उनके परिवार को मानवीय आधार पर शरण दी गई।

पैसे लेकर भागे थे गनी?

काबुल में रूसी दूतावास ने दावा किया था कि गनी अपने साथ 169 मिलियन डॉलर्स (करीब 1400 करोड़ रुपए) लेकर भागे थे। कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी इस बात का दावा किया गया। हालांकि गनी ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज किया था।

तालिबान शासन में अफगानिस्तान में सबकुछ बदला

तालिबान शासन में अफगानिस्तान में सबकुछ बदल गया है। लोगों के कई मानवाधिकार उनसे छीन लिए गए। महिलायों से उनके कई अधिकार छीन लिए गए। छठी कक्षा से आगे लड़कियों की स्कूल शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया। महिलाओं को अधिकांश नौकरियों, विशेष रूप से सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने से रोक दिया गया है। महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्कों में जाने, बिना पुरुष संरक्षक के यात्रा करने, और सिर से पांव तक ढकने की अनिवार्यता जैसे सख्त नियमों का सामना करना पड़ रहा है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई है। नौकरियाँ काफी कम हो गई हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों का जीवन स्तर काफी गिर गया है। हालांकि तालिबान ने भारत (India), रूस (Russia) और चीन (China) जैसे देशों से कूटनीतिक संबंध बनाए हैं, लेकिन पिछले 4 सालों में तालिबान के शासन में अफगानिस्तान तेज़ी से पिछड़ा है।

Afghan refugees (Photo - Washington Post)

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