Gaza Ceasefire Plan: ट्रंप के 21-सूत्री गाजा शांति प्लान पर प्रमुख मुस्लिम देशों ने समर्थन जताया है, जिसमें तत्काल युद्ध विराम और हमास का हथियार डालना शामिल है।
Gaza Ceasefire Plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा युद्ध रोकथाम के प्रस्ताव (Gaza Ceasefire Plan) पर प्रमुख इस्लामिक देशों ने हामी भर दी है। यह 20-सूत्री प्लान तत्काल सीजफायर, बंधकों की अदला-बदली और गाजा के पुनर्निर्माण पर केंद्रित है। जॉर्डन, यूएई, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, सऊदी अरब, कतर और मिस्र के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप के प्रयासों की सराहना की। हालांकि, हमास (Hamas Response Gaza) ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है, जिससे इस शांति प्रक्रिया (Trump Peace Proposal)पर सवाल खड़े हो गए हैं। ट्रंप की योजना में हमास को हथियार डालने और गाजा की सत्ता से दूर रहने की शर्तें हैं। संयुक्त बयान में मंत्रियों ने ट्रंप के नेतृत्व को स्वागत योग्य बताया और कहा कि यह क्षेत्रीय शांति के लिए अमेरिका के साथ साझेदारी को मजबूत करेगा। उन्होंने गाजा में तत्काल युद्धविराम, फिलिस्तीनियों के विस्थापन रोकने और पश्चिमी तट पर कब्जे न होने की घोषणा का भी समर्थन किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान हमास पर दबाव बनाने का प्रयास है, ताकि योजना जल्द लागू हो सके। इन देशों ने अमेरिका के साथ मिलकर समझौते (Israel Gaza Agreement) को अंतिम रूप देने की इच्छा जताई, जिससे मध्य पूर्व में स्थिरता आए।
ट्रंप का प्लान बंधकों की 72 घंटे में रिहाई, इजरायली सेना की चरणबद्ध वापसी और अंतरराष्ट्रीय निकाय के नेतृत्व में गाजा की अंतरिम सरकार पर जोर देता है। इसमें हमास के सदस्यों को शांतिपूर्ण जीवन के लिए माफी और सुरक्षित निकासी का प्रावधान है। योजना में सहायता सामग्री की बिना रुकावट आपूर्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार भी शामिल हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर हमास अस्वीकार करता है, तो इजरायल को हमास को खत्म करने का पूरा समर्थन मिलेगा। यह योजना पूर्व ब्रिटिश पीएम टोनी ब्लेयर के प्रस्ताव से प्रेरित है, जो हमास को गाजा से बाहर करने पर केंद्रित है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के प्लान की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह फिलिस्तीनी और इजरायली दोनों पक्षों के लिए लंबे समय की शांति और विकास का रास्ता खोलेगा। मोदी ने सभी पक्षों से एकजुट होकर ट्रंप की पहल का समर्थन करने की अपील की। भारत का यह बयान मध्य पूर्व में अपनी कूटनीतिक भूमिका को मजबूत करता है, खासकर जब क्षेत्रीय तनाव चरम पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की यह प्रतिक्रिया वैश्विक शांति प्रयासों में उसकी सक्रियता को दर्शाती है।
हमास ने योजना प्राप्त होने की पुष्टि नहीं की, जबकि इस्लामिक जिहाद जैसे अन्य समूहों ने इसे क्षेत्रीय विस्फोट का नुस्खा बताया। हमास के एक अधिकारी ने कहा कि वे योजना की समीक्षा करेंगे, लेकिन सत्ता त्यागने जैसी शर्तें स्वीकार्य नहीं। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने योजना का समर्थन किया, लेकिन हमास के पूर्ण विनाश पर जोर दिया। अगर हमास सहमत नहीं होता, तो युद्ध और भड़क सकता है, जिससे गाजा की मानवीय संकट गहरा जाएगा। कतर और मिस्र जैसे मध्यस्थों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
बहरहाल ट्रंप की यह पहल 2024 चुनावी वादे को पूरा करने का प्रयास है, लेकिन विशेषज्ञ सतर्क हैं। योजना में सहायता और पुनर्निर्माण पर फोकस से फिलिस्तीनियों को राहत मिल सकती है। हालांकि, हमास की प्रतिक्रिया के बिना प्रक्रिया अधर में लटकी है। वैश्विक समुदाय को उम्मीद है कि यह योजना दो साल पुराने संघर्ष को समाप्त करेगी, जो हजारों जान ले चुका है। मध्य पूर्व में शांति के लिए यह एक नया मोड़ साबित हो सकता है।