Putin India Visit: पुतिन की भारत यात्रा पर चीनी मीडिया ने खूब तारीफ की और कहा कि यह दुनिया को साफ संदेश है–रूस और भारत को कोई अलग-थलग नहीं कर सकता।
Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा (Putin India Visit) ने वैश्विक पटल पर हलचल मचा दी है। पश्चिमी देशों की ओर से भारत पर रूस के साथ (India Russia Friendship) व्यापार घटाने का दबाव बनाने के बीच चीनी सरकारी मीडिया ने इस दो दिवसीय दौरे को “दुनिया के लिए साफ संदेश” करार दिया है। उनका कहना है कि न तो रूस अकेला पड़ा है और न ही भारत को अलग-थलग किया जा सकता है। यह यात्रा तब हो रही है जब अमेरिका यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए वैश्विक एकजुटता की अपील कर रहा है। चीनी मीडिया (Chinese Media Putin) ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा कि भारत और रूस के बीच गठबंधन बाहरी हस्तक्षेपों को झेलने में सक्षम है। चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हैदोंग ने कहा, “पुतिन के इस दौरे से दोनों देशों ने मिल कर बाहरी दुनिया को बता दिया है कि कोई भी राष्ट्र अलगाव की चपेट में नहीं आ सकता।” उन्होंने कहा कि दोनों के बीच व्यापक आपसी सहयोग और मजबूत पूरकता है, जो अमेरिका व पश्चिमी प्रतिबंधों को नाकाम कर देगी।
ली हैदोंग के अनुसार, भारत-रूस संबंध बेहद रणनीतिक हैं और ये बाहरी दबावों से पूरी तरह लचीले साबित हो चुके हैं। दोनों देश अपनी स्वतंत्र क्षमताओं को मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। चीनी मीडिया का मानना है कि यह सहयोग न केवल आर्थिक, बल्कि सामरिक स्तर पर भी मजबूत है, जो वैश्विक शक्तियों की एकतरफा नीतियों को चुनौती देता है।
दूसरी ओर, अमेरिका अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजी की ताजा रिपोर्ट में भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खतरे का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण साझेदार बता रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत के साथ वाणिज्यिक और अन्य संबंधों को सुधारते रहना जरूरी है, ताकि नई दिल्ली क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा में योगदान दे सके।” अमेरिका किसी एक प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र के वर्चस्व को रोकने के लिए सहयोगियों के प्रयासों को जोड़ना चाहता है।
टैरिफ और व्यापार विवादों के बाद अमेरिका भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप प्रशासन के डिप्टी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रिक स्वित्जर के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह भारत आएगा, ताकि व्यापार समझौते पर बातचीत आगे बढ़ाई जा सके। लेकिन आलोचकों का कहना है कि पुतिन की यात्रा यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ भारत के निर्यात-आधारित सौदों को प्रभावित कर सकती है।
भारत ने ऐतिहासिक रूप से रूस के साथ गहरे रिश्ते बनाए रखे हैं। हथियारों से लेकर ऊर्जा तक, दोनों देशों का सहयोग दशकों पुराना है। पुतिन का यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश देता है। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को “प्रिय मित्र” कह कर संबोधित किया और सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कही है।
चीनी मीडिया ने इस यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह अमेरिका के एकध्रुवीय विश्व के सपने को तोड़ने वाली घटना है। पुतिन के दिल्ली प्रवास के दौरान जारी अमेरिकी रिपोर्ट दिलचस्प संयोग है, जो दिखाता है कि वैश्विक शक्तियां भारत को अपने पाले में खींचने की होड़ में हैं। लेकिन भारत ने एक बार फिर अपनी स्वायत्त विदेश नीति का परिचय दिया है – न किसी के दबाव में आएगा, न किसी की धुन पर नाचेगा।
यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि बहुपक्षीय दुनिया के निर्माण में भारत की भूमिका रेखांकित करती है। चीन को इससे फायदा मिला है, क्योंकि भारत-रूस की नजदीकी पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करती है। कुल मिलाकर, पुतिन का भारत दौरा उनके इस बयान के नजरिये से बहुत अहम है – सहयोग से मजबूत होंगे, अलगाव से नहीं। दुनिया अब देख रही है कि कैसे भारत वैश्विक संतुलन का केंद्र बन रहा है।