Conflict: यमन में हूती विद्रोहियों ने सऊदी अरब पर हवाई हमले का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है, जबकि सऊदी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। नए साल से पहले इस सीमावर्ती तनाव ने मध्य पूर्व में शांति की उम्मीदों को संकट में डाल दिया है।
Airstrike: न्यू ईयर से पहले मिडिल ईस्ट (Middle East war updates 2025) में शांति की उम्मीदों को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। यमन के हूती विद्रोहियों ने दावा किया है कि सऊदी अरब (Yemen Saudi conflict news) के लड़ाकू विमानों ने उनके सीमावर्ती इलाकों पर बमबारी (Houthi airstrike claims) की है। वहीं, दूसरी ओर सऊदी अरब ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें मनगढ़ंत बताया है। इस ताज़ा विवाद ने इस इलाके में चल रहे संघर्ष विराम (Ceasefire) के प्रयासों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। यमन के अंसार अल्लाह (हूती) समूह के सैन्य प्रवक्ता के मुताबिक, सऊदी अरब के विमानों (Saudi air force Yemen allegations) ने उत्तरी यमन के सादा प्रांत में रिहायशी और रणनीतिक ठिकानों (Saudi Arabia Yemen border tension) को निशाना बनाया। हूतियों का कहना है कि यह हमला सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन है। उनका आरोप है कि सऊदी अरब शांति की आड़ में अपनी सैन्य ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। विद्रोही गुट ने चेतावनी दी है कि यदि ये "उकसावे वाली कार्रवाई" तुरंत नहीं रुकी, तो वे इसका कड़ा जवाब देने के लिए तैयार हैं।
सऊदी अरब की ओर से इस मामले पर तत्काल सफाई आई है। रियाद स्थित आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि उनकी सेना की ओर से कोई भी हवाई हमला नहीं किया गया है। सऊदी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि हूती समूह अक्सर अपनी आंतरिक विफलता और जनता के असंतोष को छिपाने के लिए इस तरह के झूठे नैरेटिव का सहारा लेता है। सऊदी अरब ने स्पष्ट किया कि वह यमन में स्थायी शांति के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की सैन्य वृद्धि नहीं चाहता।
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर लाल सागर (Red Sea) में चल रहे तनाव से जुड़ा हो सकता है। हूतियों द्वारा जहाजों पर किए जा रहे हमलों के बाद से ही क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सक्रियता बढ़ी है। ऐसे में सऊदी अरब पर आरोप लगाकर हूती गुट अरब देशों को दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) के अधिकारी वर्तमान में स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। अगर इन हमलों की पुष्टि होती है, तो पिछले दो सालों से चल रही शांति वार्ता पटरी से उतर सकती है। आने वाले कुछ दिनों में ओमान की मध्यस्थता वाली टीम रियाद और सना के बीच फिर से बातचीत शुरू करने की कोशिश कर सकती है ताकि तनाव को कम किया जा सके।
बहरहाल, राजनीति और हवाई हमलों के बीच यमन की आम जनता सबसे ज़्यादा पिस रही है। युद्ध और नाकेबंदी के कारण यमन पहले से ही भारी अकाल और चिकित्सा सुविधाओं की कमी झेल रहा है। इस तरह के नए विवाद मानवीय सहायता पहुँचाने वाले रास्तों को और भी खतरनाक बना देते हैं, जिसका सीधा असर लाखों बच्चों और परिवारों पर पड़ता है।