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औषधियों की खान है अमरकंटक, संबंधित उद्योग लगे तो संरक्षण के साथ मिले रोजगार

अनूपपुर. अमरकंटक की पहचान प्राकृतिक सौंदर्य है। वनों से आच्छादित होने के कारण यह पर्यटक स्थल के रूप में दुनियाभर में प्रसिद्ध है ही इसके साथ ही अपने औषधीय खजाने के लिए भी जाना जाता है। यहां विभिन्न तरह के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसके संवर्धन के प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन औषधीय […]

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अनूपपुर. अमरकंटक की पहचान प्राकृतिक सौंदर्य है। वनों से आच्छादित होने के कारण यह पर्यटक स्थल के रूप में दुनियाभर में प्रसिद्ध है ही इसके साथ ही अपने औषधीय खजाने के लिए भी जाना जाता है। यहां विभिन्न तरह के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। इसके संवर्धन के प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन औषधीय पौधों से संबंधित उत्पादों की मार्केटिंग तथा औषधीय दवाइयों से संबंधित उद्योग की स्थापना की मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। आगामी दिनों में शहडोल संभाग में रीजनल इंडस्ट्रियल कांक्लेव प्रस्तावित है। इसमें स्थानीय उद्योगों पर फोकस किया जा रहा है। यहां के औषधीय पौधों को लेकर कार्य योजना बनाने की आवश्यकता भी है। जिससे इन औषधियो से निर्मित उत्पाद निर्माण के साथ ही स्थानीय लोगों को इससे रोजगार प्राप्त हो सके। यदि इससे संबंधित उद्योग यहां पर लगाए जाएं तो अमरकंटक औषधीय उत्पादन के बड़े केंद्र के रूप में उभरेगा। अमरकंटक में वर्तमान में एक जिला एक उत्पाद के तहत डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में गुलबकावली के पौधे रोपित किए गए हैं। इसके साथ ही 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधे एवं 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित पौधे रोपित किए गए हैं। इसका उपयोग अभी तक सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही किया जाता है। वन विभाग इन औषधि पौधों को स्थानीय वैद्य एवं औषधि निर्माण से जुड़े लोगों को उपलब्ध कराता है। अमरकंटक में मुख्य रूप से सतावर, श्यामा हल्दी, केवकंद, किखुर, सफेद मूसली, काली मूसली, चित्रक, अडूसा, सर्पगंधा, गिलोय, गंध प्रसारिणी की खेती की जाती है।

सांसद ने भी आयुष मंत्री से की थी मांग

शहडोल लोकसभा क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह ने बीते दिनों केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रताप राव जाधव से भेंट कर विश्व भर मे अपनी विशिष्ठ पहचान के लिए जाने वाले अमरकंटक में जड़ी बूटी अनुसंधान केंद्र खोले जाने की मांग की थी। इससे अमरकंटक में औषधीय जड़ी बूटियों का संरक्षण एवं संवर्धन के साथ स्थानीय जनों क़ो रोजगार भी मिल सके।

गुलवकावली, ब्राम्ही सहित औषधीय पौधों का है खजाना

अमरकंटक में गुलबकावली का उपयोग एवं रोपण मुख्य रूप से किया जाता है एवं स्थानीय वैद्य इससे अर्क का निर्माण करते हैं जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक होता है। इसके साथ ही यहां पर ब्राम्ही के साथ ही 20 तरह के अन्य औषधीय पौधे का रोपण किया जाता है, जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में सहायक होते हैं। इसके साथ ही आंवला, हर्रा, बहेरा पाचन से संबंधित चूरण के निर्माण में उपयोगी होते हैं। अमरकंटक के वैद्य सोमेश्वर गिरी ने बताया कि अमरकंटक में आज भी औषधि पौधों का भंडार है इसके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता है। इससे संबंधित इंडस्ट्री यहां पर स्थापित हो जाए तो लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकेंगे।

रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव को लेकर कई उद्योगपतियों से बात चल रही है। अमरकंटक में औषधीय पौधों से संबंधित उद्योग स्थापना को लेकर अभी तक कोई तैयारी नहीं है। प्रस्ताव में इसे शामिल कर संबंधित औद्योगिक इकाइयों से चर्चा की जाएगी। हर्षल पंचोली, कलेक्टर अनूपपुर