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14 हजार से अधिक किसानों की नहीं बनी फॉर्मर आइडी, 31 तक पूरा करना है लक्ष्य

जिले में कुल 95 हजार 271 किसानों की फार्मर आईडी बननी है। अभी तक 80 हजार 792 किसानों की आईडी बनी

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जिले में किसानों की फार्मर आईडी बनाने की समय सीमा बीतने को है और 14 हजार से अधिक किसानों की आईडी अभी तक नहीं बन सकी है। किसानों को हर तरह की शासकीय सहायता प्रदान करने के लिए सूचीबद्ध करने एवं उनके डाटाबेस बनाने के लिए फार्मर आईडी बनाने का कार्य किया जा रहा है। जिले में कुल 95 हजार 271 किसानों की फार्मर आईडी बननी है। अभी तक 80 हजार 792 किसानों की आईडी बनी है एवं 14 हजार 479 किसानों की आईडी बनाने का कार्य बाकी है। अनूपपुर तहसील क्षेत्र में 17 हजार 991 किसानों में से 16 हजार 685 किसानों की आईडी बनी हैं एवं 2306 किसान बाकी है। इसी तरह जैतहरी तहसील क्षेत्र अंतर्गत 15 हजार 328 किसानों की आईडी बननी है, जिनमें से अभी तक 11 हजार 843 किसानों की आईडी जनरेट हुई है। कोतमा तहसील में 20 हजार 774 किसानों की आईडी बननी है जिनमें से अभी तक 18 हजार 681 किसानों की आइडी बनी है। पुष्पराजगढ़ तहसील क्षेत्र अंतर्गत 41 हजार 178 किसानों की फार्मर आईडी बनाई जानी है जिनमें अभी तक 34 हजार 583 किसानों की आईडी जनरेट हुई है एवं 6595 किसानों की आईडी शेष है।

निर्धारित समय पर कैसे पूरा होगा लक्ष्य

जिले भर में अभी 14 हजार 479 किसानों की फार्मर आईडी बनाने का कार्य बाकी है। 31 मार्च तक यह सभी कार्य पूर्ण कराना है। इतनी संख्या में छूटे हुए किसानों की फार्मर आईडी बनाना भी विभाग के लिए चुनौती है। जिले में प्रतिदिन 300 से 500 फार्मर आईडी बनती हैं बीते दिन अनूपपुर तहसील में 58, जैतहरी तहसील में 91, पुष्पराजगढ़ तहसील में 148 किसानों की फार्मर आईडी बनाए जाने का कार्य किया गया था। फार्मर आईडी बनाने के कार्य में मैदानी अमले की लेट लतीफी सामने आ रही है। ग्राम पंचायत में पटवारी समय से उपलब्ध नहीं रहते हैं या फिर ग्राम पंचायत क्षेत्र में नियमित रूप से उपस्थित नहीं होने के कारण किसान पटवारी कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। ज्यादातर क्षेत्र में तहसील तथा उप तहसील क्षेत्र में ही पटवारी निवासरत हैं और संबंधित हल्के में एक या दो दिन ही पहुंचते हैं। साथ ही प्रत्येक ग्राम क्षेत्र में कियोस्क एवं ग्राहक सुविधा केंद्र उपलब्ध न होने के कारण तथा स्वयं फार्मर आईडी बनाए जाने की प्रक्रिया की जानकारी न होने के कारण किसान स्वयं अपनी फार्मर आईडी नहीं बना पाते।