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यहां नर्मदा का जल शिवलिंग पर अर्पित करने पर पूरी होती है मनोकामनाएं

सावन सत्कार: जालेश्वर महादेव मंदिर में स्थित है प्राचीन शिवलिंग

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Here the wishes of Narmada are fulfilled by offering water to Shivling

यहां नर्मदा का जल शिवलिंग पर अर्पित करने पर पूरी होती है मनोकामनाएं

अनूपपुर। पवित्र नगरी अमरकंटक से ८ किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जालेश्वर(ज्वालेश्वर) महादेव मंदिर में श्रावण मास के दौरान शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं। यह जलाभिषेक नर्मदा का जल कावड़ में भरकर श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और महादेव शिवलिंग पर चढ़ाकर उनकी पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जिसके कारण पूरे श्रावण मास श्रद्धालुओं के साथ ही कावडिय़ों का यहां आवागमन लगा रहता है। जालेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस मंदिर को स्थापित किया था। पुराणों में इस स्थान को महारूद्र मेरु कहा गया है। यहीं से अमरकंटक की तीसरी नदी जोहिला की उत्पत्ति होती है। यहां स्थापित बाणलिंग की कथा का जिक्र स्कंद पुराण में है। इस बाणलिंग पर दूध व शीतल जल अर्पित करने से सभी पाप, दोष और दुखों का नाश हो जाता है।
भगवान भोलेनाथ ने बाणासुर को दिया था जीवनदान
पौराणिक कथा के अनुसार बली का पुत्र बाणासुर अत्यंत बलशाली और शिव भक्त था्र। बाणासुर ने भगवान शिव की तपस्या कर वर मांगा कि उसका नगर दिव्य और अजेय हो। भगवान शिव को छोडक़र कोई और इस नगर में ना आ सके। इसी तरह बाणासुर ने बह्मा और विष्णु भगवान से भी वर प्राप्त किए। तीन पुर का स्वामी होने से वह त्रिपुर कहलाया। लेकिन शक्ति के घमंड में बाणासुर उत्पात मचाने लगा। जिसपर भगवान शिव ने पिनाक नामक धनुष और अघोर नाम के बाण से बाणासुर पर प्रहार किया। इस पर बाणासुर अपने पूज्य शिवलिंग को सिर पर धारण कर महादेव की स्तुति करने लगा। उसकी स्तुति से शिव प्रसन्न हुए और बाण से त्रिपुर के तीन खंड हुए और नर्मदा के जल में गिर गए। वहां से ज्वालेश्वर नाम का तीर्थ प्रकट हुआ। भगवान शिव के छोड़े बाण से बचा हुआ ही यह शिवलिंग बाणलिंग कहलाया। इसी स्थल से जोहिला नदी का उद्गम भी हुआ है।
मनोकामना पूरी करते हैं भोलेनाथ
नर्मदा का जल जालेश्वर महादेव को अर्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सावन के महीने में यहां नर्मदा जल चढ़ाने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और महादेव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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