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शोध में मिलीं ऐतिहासिक सामग्रियां

उपेक्षित है शिवलहरा की प्राचीन नागवंशी गुफाएं

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Historical materials found in research

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अनूपपुर. जिला मुख्यालय अनूपपुर से लगभग 40 किमी दूर भालूमाडा केवई नदी के पास स्थित शिवलहरा की नागवंशी गुफाएं जीर्णशीर्ण हो रही हैं। इस दुर्लभ धरोहर को बचाने के लिए प्रशासन सहित एआईएस (पुरातत्व विभाग) द्वारा भी कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। जबकि वर्ष २०१६ के दौरान इंदिरागांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक संस्थान की पुरातत्व विभाग शाखा ने नागवंशी तथा पांडवकालीन गुफा शिवलहरा के आसपास स्थलों की खोजबीन में इसे ऐतिहासिक मानते हुए अनेक सामग्रियां पाई। इसमें मिट्टी के भांद, वलयकूप, बच्चों के पक्की मिट्टी के खिलौने, दैनिक उपयोग की सामग्री सहित मनोरंजन के भी सामान प्राप्त हुए। वहीं ऐतिहासिक सामग्रियों को एकत्रित कर अनूपपुर के अस्तित्व की लगभग २२०० वर्ष पुराना होने का आंकलन किया गया। लेकिन विश्वविद्यालय शोधार्थियों द्वारा एकत्रित की गई जानकारी तथा शिवलहरा गुफा को बताए गए ऐतिहासिक स्थलों की श्रेणी के बाद भी पुरातत्व विभाग जबलपुर सहित भोपाल द्वारा अब तक उसके सरंक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की है।
चट्टानों पर उकेरी गई भाषाओं व मान्यताओं के अनुसार शिवलहरा की गुफाएं २ से ढाई हजार वर्ष पुरानी मानी जाती हैं। ऐतिहासिक गाथा के अनुसार विंध्य प्रदेश अनेक राज्य सत्ताओं का राज्य रहा, जिसमें रामायण, महाभारत काल के बाद मौर्य वंश, शुंग वंश, बाकाटक, कल्चुरी, बघेल वंश एवं अंग्रेजों के युग का क्रमिक विकास पुरातत्व के माध्यम से दिखाई देता है। केवई नदी पर बनी नागवंशी गुफाएं में शिव-नंदी व नाग के शिलालेख के अलावा ब्रम्ही कूटलिपी में उकेरी गई लेख लिखे हुए हैं। ये लेख अभी भी पढ़े जा सकते हैं। शिलालेख के अनुसार मूलदेव वस्त्र गोत्री ब्राहम्ण इनका मंत्री था पर शिलालेख में अंकित उनके नागकालीन का चित्रकला भी उभरा हुआ प्रदर्शन स्पष्ट है।
बताया जाता है कि शिवलहरा गुफा में वर्षो से महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। लेकिन हर बार जिला प्रशासन द्वारा अमरकंटक की सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ वहां की बेहतर व्यवस्थाओं की ओर ध्यान देकर शिवलहरा मेले को उपेक्षित छोड़ दिया जाता है। जानकारों के अनुसार स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा कोतमा, बदरा, छत्तीसगढ़, राजनगर, भाद, सकोला, छोहरी परासी, बिजुरी, कपिलधारा तक के लोग इस मेल में शामिल होते हैं। लेकिन आगामी आरम्भ होने वाले मेले के लिए ग्राम पंचायत सहित जिला प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। जबकि पचांयत व क्षेत्र के मुख्य मार्ग से मंदिर तक के लिए ग्राम पंचायत द्वारा बीएमडब्ल्यू सड़क का निर्माण कराया गया था। लेकिन यह सड़क नाम मात्र की बनाकर पंचायत द्वारा पूरी राशि आहरित कर ली गई। परिणामस्वरूप मंदिर तक जाने के लिए मार्ग तक नहीं है। जबकि पंचायत द्वारा बनाया गया कुआं अब गंदगी के कारण अनुपयोगी हो गया है।