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प्राथमिक शिक्षा में महात्मा ज्योतिबा फुले का अतुलनीय योगदान आज भी प्रासंगिक

आईजीएनटीयू के तत्वावधान में जन्म दिवस पर विशेष व्याख्यान आयोजित

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Incomparable contribution of Mahatma Jyotiba Phule in primary educatio

प्राथमिक शिक्षा में महात्मा ज्योतिबा फुले का अतुलनीय योगदान आज भी प्रासंगिक

अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की डॉ. अंबेडकर चेयर के तत्वाधान में महात्मा ज्योतिबा फुले के जन्म दिवस पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर शिक्षाविदों ने उनके बालिका शिक्षा और वंचित वर्ग की शिक्षा में दिए गए अहम योगदान को रेखांकित करते हुए उसे वर्तमान परिदृश्य में भी प्रासंगिक बताया। मुख्य अतिथि एसआरटीएम विश्वविद्यालय नांदेड़ के स्कूल ऑफ लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चरल स्ट्डीज के निदेशक प्रो. दिलीप चौहान ने कहा कि महात्मा फुले ने भारत के उज्जवल भविष्य के लिए सदैव ज्ञान आधारित और सतत चिंतन करने वाले समाज की परिकल्पना को प्रस्तुत किया था। उनका शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान रहा, इसके साथ ही उन्होंने सामाजिक विकास और लेखक के तौर पर भी स्वयं का अहम योगदान सुनिश्चित किया। उन्होंने आजादी पूर्व ब्रिटिश भारत में ज्ञान की परिकल्पना को प्रस्तुत करते हुए लगातार शिक्षा प्राप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों की समस्याओं को प्रमुखता के साथ प्रस्तुत करते हुए जाति, पितृ सत्ता, धर्म और पूंजीवाद के मध्य संबंध की व्याख्या करने का प्रयास किया। जाति व्यवस्था को भारत की एकमात्र सामाजिक व्यवस्था बताया। प्रो. दिलीप सिंह ने महात्मा फुले के सामाजिक परिवर्तन में दिए गए योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें आज भी प्रासंगिक बताया। निदेशक (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने कहा कि महात्मा फुले ने दलित उद्धार, स्त्री उत्थान, शिक्षा और जाति आधारित समाज पर स्वयं की परिकल्पनाएं समाज के साथ प्रमुखता से प्रस्तुत की। किसानों की दुर्दशा को लेकर भी उनकी भावनाएं लेखन में प्रदर्शित होती हैं। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज में परिवर्तन पर जोर दिया था। कार्यक्रम के दौरान प्रो. किशोर गायकवाड़ सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्रों ने हिस्सा लिया।