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15 साल से अपनी ही जमीन से बेदखल है ये किसान, बोला- न्याय नहीं दे सकते तो इच्छा मृत्यु का हक ही दे दो

भले ही सरकार किसानों के हितों को महत्व देने के तमाम दावे करती हो, लेकिन मध्य प्रदेश से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है।

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15 साल से अपनी ही जमीन से बेदखल है ये किसान, बोला- न्याय नहीं दे सकते तो इच्छा मृत्यु का हक ही दे दो

दरअसल, मध्य प्रदेश में एक किसान पिछले 15 वर्षों से अपनी जमीन से ही बेदखल है और उसे छुड़वाने के लिए अबतक वो इंसाफ का लगभग हर दरवाजा खटखटा चुका है। लेकिन, उसकी पीड़ा अबतक किसी को दिखाई नहीं दी। अब लाचार सरकारी तंत्र से मायूस होकर किसान ने मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को एक पत्र लिख दिया है, जिसमें उसने इच्छा मृत्यु की मांग की है।


ये हैरान कर देने वाला मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के अंतर्गत आने वाले मुंगावली तहसील के वरखना गांव का है, जहां का किसान संग्राम सिंह यादव पिछले 15 वर्षों से अपनी जमीन को दबंगों के कब्जे से छुड़ाने के लिए प्रशासनिक लड़ाई लड़ रहा है। किसान की मानें तो वो एक या दो नहीं, बल्कि 17 बार सीएम हेल्पलाइन पर तो 7 बार कलेक्टर से शिकायत कर चुका है। यही नहीं, भोपाल जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके विभाग के अधिकारियों से भी मिलकर अपनी व्यथा सुनाकर कारर्वाई का आश्वासन ले चुके हैं। बावजूद इसके अबतक उसकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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परिवार का भरण पोषण कर पाना हुआ मुश्किल

बता दें कि, किसान के पास कुल 18 बीघा जमीन है। इस जमीन में से सिर्फ 4 बीघा पर ही वो खेती कर अपना और परिवार के 9 लोगों का भरण पोषण कर रहा है। आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब है, जिससे परेशान होकर अब किसान ने इच्छा मृत्यु की मांग कर दी है।


शुल्क लेने के बाद भी प्रशासन को नहीं दिलचस्पी

किसान संग्राम सिंह के पास जो जमीन है उसकी रजिस्ट्री के साथ साथ नामांतरण भी उसके पास है। किसान अपनी जमीन का सीमांकन तहसील कार्यालय से करवाना चाहता है और नियम अनुसार कागज भी उसके पास हैं। साल 2021 से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है और 7 बार सीमांकन की फीस अदाकर चुका है, फिर भीप्रशासन उसे उसका हक दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

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पहले भी कर चुका है आत्महत्या की कोशिश

किसान का कहना है कि कई बार सीमांकन के लिए पटवारियों को मौके पर भेजा गया, लेकिन ना तो कोई सीमांकन हो सका और ना ही दबंगों से कब्जा छुड़ाया जा सका। अपनी परेशानी का समाधान ना मिलने के कारण किसान संग्राम सिंह पहे भी एक बार मुंगावली तहसील में फांसी लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश कर चुका है। इस सब के बाद भी अबतक सभी जगहों पर मदद की गुहार लगाने के बाद न्याय ना मिलने के कारण उसने इच्छा मृत्यु की मांग कर दी है।