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कोरोना महामारी के बीच अब खतरनाक संक्रामक रोग ग्लेंडर की दस्तक

घोड़े में ग्लेंडर रोग की पुष्टि, इंसानों में फैलने की आशंका तो घोड़े को जहर देकर मारा, प्रदेश में में ग्लेंडर रोग का दूसरा मामला, इससे पहले नरसिंहगढ़ में हुई थी पुष्टि।

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अशोकनगर. कोरोना महामारी से राहत मिल ही रही थी कि जिले में खतरनाक संक्रामक रोग ग्लेंडर ने दस्तक दे दी। शहर में एक घोड़े में ग्लेंडर रोग की पुष्टि हुई, जिसका संक्रमण इंसानों में भी फैलने की आशंका रहती है। इससे पशुपालन विभाग ने संक्रमित घोड़े को जहर देकर मार दिया व उसे दफना दिया है। साथ ही अब घोड़ा मालिक के परिवार व अन्य घोड़ों के सेंपल लिए जाएंगे।

शहर में अजाक थाने के पीछे स्थित मोहल्ले में रहने वाले रफीक खान के घोड़े में ग्लेंडर रोग की पुष्टि हुई है। घोड़ा कई दिन से बीमार था और 10 जून को पशुपालन विभाग ने सेंपल लेकर राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजा, जहां से शुक्रवार को आई जांच रिपोर्ट में यह घोड़ा ग्लेंडर रोग से पीडि़त पाया गया। इससे पशुपालन विभाग ने प्रशासन को सूचना दी और शनिवार को संक्रमित घोड़े को मंगाकर उसे बेहोश किया व ड्रिप लगाकर उसमें जहर मिलाया। घोड़े की मौत के बाद उसे 8 फिट गहरे गड्ढ़े में दफना दिया गया। इस दौरान पशु अस्पताल के तीन डॉक्टरों के अलावा तहसीलदार व राजस्व टीम और नपा की टीम मौजूद रही।

शादियों में घोड़े किराए पर भेजता है रफीक
रफीक खान के पास चार-पांच घोड़े हैं और वह शादियों में बारात के लिए किराए पर घोड़े भेजता है। पशु अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक रफीक खान ने कुछ दिन पहले ही ग्वालियर से दो घोड़े खरीदे थे और इन्हीं में से एक घोड़ा बीमार हो गया। डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने सेंपल लेकर घोड़े को अलग रखने व उसके संपर्क में न आने की सलाह दी थी। रोग की पुष्टि होने के बाद अब उसके अन्य घोड़ों व आसपास के 10 किमी क्षेत्र के सभी घोड़ों के सेंपल लिए जाएंगे।

संक्रमित घोड़े पर बैठकर पहुंचा किशोर
जिस संक्रमित घोड़े से लोगों को दूर रहने की डॉक्टरों ने सलाह दी थी। लेकिन जब शनिवार को डॉक्टरों ने घोड़े को मंगवाया तो 17 साल का एक किशोर उस संक्रमित घोड़े पर बैठकर पहुंचा। इससे अधिकारियों ने उस किशोर को वहीं पर पानी से नहलाया और उसे सतर्कता बरतने की सलाह दी।

जहर देकर मारा
पशु अस्पताल अशोकनगर प्रभारी डॉ.संजय कौरव ने बताया कि ग्लेंडर रोग की पुष्टि होने पर ग्लेंडर प्रेवेंशन एंड इरिटेशन गाइडलाइन 2019 के अनुसार मारकर घोड़े को डिस्पॉज्ड किया गया। इसका संक्रमण इंसानों में भी फैलने का डर रहता है। सेंपल लेने के बाद घोड़े को संदिग्ध मानते हुए घोड़े को अलग रखने के लिए कहा था, अब अन्य घोड़ों की सेंपलिंग होगी।

पशु अस्पताल अशोकनगर, चिकित्सक डॉ.स्वाती कोली ने बताया किग्लेंडर रोग से संक्रमित होने पर लोगों में बुखार, सिरदर्द, कंपकंपी होती है, शहरी में कहीं भी पस बन जाती है। रोग इतना खतरनाक है कि लैब में इस पर रिसर्च करने वाले कई लोगों के हाथ तक काटना पड़े थे। इससे रोग को इंसानों में फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पशु को मारना ही एक मात्र विकल्प है। अब 10 किमी क्षेत्र के सभी घोड़ों के सेंपल लिए जाएंगे व संक्रमित घोड़े के मालिक के परिवार की स्वास्थ्य विभाग जांच करेगा।