
जैन धर्म के इष्टदेव भगवान आदिनाथ की खडगासन प्रतिमा यहां है विराजमान
अशोकनगर. दर्शनोदय तीर्थक्षेत्र थूबोनजी के मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए 8 जून से खुल जाएंगे। पहले ही तरह यहां श्रद्धालु पहुंचकर भगवान के दर्शन व अभिषेक कर सकेंगे। हालांकि मंदिर परिसर में प्रवेश से पहले फिटकरी के पानी से श्रद्धालुओं के हाथ धुलवाए जाएंगे, साथ ही श्रद्धालुओं की टेंपरेचर जांच भी होगी और इसी के बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश मिलेगा।
ट्रस्ट कमेटी के महामंत्री विपिन सिंघई ने बताया कि थूबोनजी में अभिषेक और शांतिधारा के कार्यक्रम भी 8 जून से प्रारंभ होंगे लेकिन इनमें श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
मंदिर में पूजा के समय इस्तेमाल होने वाले कपड़े स्वयं लाना होगा
यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था है कि गंधोदक चम्मच से ही लेंगे। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अब द्रव्य की थाली भी पुजारी ही लगाकर देंगे और मंदिर में श्रद्धालुओं को धोती, दुपट्टा व मास्क स्वयं ही घर से लेकर आना पड़ेगा। मंदिर में कपड़ों की व्यवस्था है लेकिन वह सामूहिक रूप से पहने हुए होने से श्रद्धालुओं को पूजा के समय इस्तेमाल करने नहीं दिए जाएंगे।
क्यों खास है यह तीर्थक्षेत्र
दर्शनोदय तीर्थक्षेत्र थूबोनजी जैन समाज का बड़ा तीर्थ है। यहां पर 26 मंदिर हैं और उनमें 12वी शताब्दी की 24 तीर्थंकर भगवान की मूर्तियां विराजमान है। साथ ही मंदिर में जैन समाज के ईष्ट भगवान आदिनाथ की 28 फीट ऊंची खडगासन प्रतिमा विराजमान है। इससे यहां बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस पवित्र तीर्थ का उद्भव 12वीं शताब्दी में इतिहास प्रसिद्ध श्रेष्ठि पाड़ाशाह द्वारा हुआ था। पाड़ाशाह के नाम पर क्षेत्र के दक्षिण ओर थूबोन नाम से लगी हुई एक सरोवरी है। इसे पाड़ाशाह तलैया कहते हैं।
भगवान आदिनाथ की खडगासन प्रतिमा की यह है खासियत
भगवान् आदिनाथ की 28 फीट उतंग विशाल खड्गासन प्रतिमा के सम्बन्ध में अनेक किवदंती प्रचलित हैं। यह प्रतिमा जब बनकर तैयार हुई तो उसे खड़ी करने के लिए सैकड़ों लोगों ने प्रयास किया लेकिन सैकड़ों लोगों का बल काम नहीं आया और प्रतिमा हिली तक नहीं। पूरे दिन प्रयास के बाद सभी थकहार गए। उसी दिन रात में प्रतिमा प्रतिष्ठा कराने वाले व्यक्ति को सपना आया। सज्जन को स्वप्न आया कि वह प्रातः प्रासुक जल से स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर भक्तिपूर्वक देव पूजा से निवृत्त होकर इस प्रतिमा को खड़ा करने का प्रयास करें। सज्जन सुबह उठे तो स्वप्न में मिले निर्देशों के अनुसार काम किया। देखते ही देखते वह अकेले ही प्रतिमा को खड़ा कर दिए। सच्ची श्रद्धा से एक अकेला व्यक्ति विशाल प्रतिमा को कैसे खड़ा कर दिया यह लोगों के विस्मय व श्रद्धा का विषय बन गया।
Published on:
04 Jun 2020 07:07 am
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