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हांगकांग: प्रत्यर्पण कानून पर जारी है विवाद, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़पें

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर और बोतलें फेंकी भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े संयुक्त राज्य अमरीका और यूरोपीय संघ ने भी बिल की आलोचना की

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हांगकांग: प्रत्यर्पण कानून पर जारी है विवाद, प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच में झड़प

नई दिल्ली। हांगकांग में एक विवादित बिल के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। दरअसल, प्रस्तावित नए प्रत्यर्पण कानून के अंतर्गत आरोपितों और संदिग्धों को मुकदमे के लिए चीन में प्रत्यर्पित करने का प्रावधान है। बुधवार को इसके विरोध में भारी संख्या में लोग एकत्र हुए। इस दौरान पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले और पेपर स्प्रे का छिड़काव किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर और बोतलें फेंकी। उनके मुहं पर मास्क था और हाथों में दस्ताने थे। इस तरह से वह पुलिस द्वारा छोड़ी जा रही टीयर गैस से बचाव कर रहे थे।

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नए कानून से हांगकांग की स्वतंत्रता पर खतरा

विशेषज्ञों की माने तो नया प्रत्यर्पण कानून हांगकांग की स्वतंत्रता पर बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। इस कानून के चलते हांगकांग के लोगों पर हर वक्त चीन पर निर्भरता बढ़ेगी। चीनी प्रशासन कभी भी राजनैतिक या अनजाने में हुए व्यावसायिक अपराधों के चलते उन्हें अपने कब्जे में ले सकते हैं। इस कानून से शहर की अर्द्ध स्वायत्त (Semi-autonomous) कानून प्रणाली भी कमजोर होगी।

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कानून के खिलाफ यूरोपीय संघ का विरोध पत्र

प्रस्तावित कानून के खिलाफ काफी समय से विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बिल ने हांगकांग में राजनीतिक गतिरोध की स्थिति पैदा कर दी है। यही नहीं संयुक्त राज्य अमरीका और यूरोपीय संघ (EU) भी इस बिल की आलोचना कर चुके हैं। हांगकांग स्थित EU कार्यालय ने इसके विरोध में आधिकारिक रूप से डिमार्श (विरोध पत्र) जारी किया है। गौरतलब है कि वर्ष 1997 में ब्रिटेन ने चीन को हांगकांग सौंपते हुए यह शर्त रखी थी कि 'वन कंट्री, टू सिस्टम' सिद्धांत का पालन किया जाएगा। इससे हांगकांग की स्वायत्तता हमेशा बरकरार रहेगी।

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