
भारत को घेरने के लिए चीन की नई चाल, नेपाल को लैंड पोर्ट और बंदरगाह इस्तेमाल करने की अनुमति
काठमांडू। चीन ने नेपाल को लैंड पोर्ट और बंदरगाह इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है। भारत को घेरने की चीनी चाल के तहत नेपाल की भारत के ऊपर निर्भरता कम करने के लिए चीन के इस कदम का बड़ा रणनीतिक महत्व है। चीन इन दिनों भारत के पड़ोसी देशों में अपने पैर पसारने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है। इसके तहत भारत के छोटे पड़ोसी देशों को भारी भरकम कर्ज देने के साथ ही चीन उन्हें कई तरह की छूट देकर रिझाने की कोशिश कर रहा है। चीन ने इसी नीति के चलते शुक्रवार को नेपाल को अपने चार बंदरगाहों और तीन लैंड पोर्टों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी।
चीन की दूरगामी चाल
चीन का यह कदम रणनीतिक लिहाज से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।नेपाल को इस तरह की छूट देने से स्थलबद्ध देश नेपाल अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के भारत पर निर्भर नहीं रह जाएगा। बता दें कि नेपाल चारों तरफ से जमीन और पहाड़ों से घिरा है।जिसके चलते उसके पास समुद्री बंदरगाह का अभाव है। अपने इस आभाव की पूर्ति के लिए नेपाल भारत पर निर्भर है।2015 में मधेसी आंदोलन के बाद भारत से व्यापार के रास्ते बंद होने के बाद नेपाल रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति के लिए मोहताज हो गया था। उन दिनों नेपाल में रोजमर्रा की जरुरत की चीजों की बहुत किल्लत हुई थी। इसके बाद से ही नेपाल ने भारत पर निर्भरता कम करने के बारे में कदम उठाने शुरू कर दिए थे । नेपाल की इस जरुरत का लाभ उठाते हुए चीन ने प्रलोभन देने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है।
चीन की जमीन इस्तेमाल करने की इजाजत
चीन ने नेपाल को शेनजेन, लियानयुगांग, झाजियांग और तियानजिन सीपोर्ट के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। नेपाल की सीमा का चीन में स्थित निकटवर्ती बंदरगाह तियानजिन है। इसके अलावा चीन ने लंझाऊ, ल्हासा और शीगाट्स लैंड पोर्टों के भी इस्तेमाल करने की भी अनुमति नेपाल को दे दी है । अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ये लैंड पोर्ट और बंदरगाह नेपाल के लिए वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराएंगे। इसके अलावा चीनी अधिकारी तिब्बत के रास्ते नेपाल में सामान लेकर जा रहे वाहनों को ट्रांसपोर्ट परमिट भी देंगे।
नेपाल के फायदेमंद है यह कदम
नेपाल के इंडस्ट्री और कॉमर्स सचिव रवि शंकर ने कहा कि, 'तीसरे देश के साथ कारोबार के लिए नेपाली कारोबारियों को इन बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए रेल या रोड, किसी भी मार्ग का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी। यह कदम नेपाल की तरक्की और खुशहाली का रास्ता खोलेगा। बता दें कि चीन के साथ इस मुद्दे पर हो रही वार्ता का नेतृत्व नेपाल की तरफ से रवि शंकर ने ही किया था।उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने छह चेकपॉइंट्स से नेपाल का सामना चीन में पहुंचने का रास्ता तय किया है। शुक्रवार को इस अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए।
Updated on:
08 Sept 2018 09:44 am
Published on:
08 Sept 2018 09:01 am
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