
नई दिल्ली।
ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में COP-26 Summit चल रहा है। कल यानी सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत दुनियाभर के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जलवायु परिवर्तन और इसके उपाय पर अपनी बात रखी।
वहीं, चीन का दावा है कि उसे इस सम्मेलन में बोलने का मौका नहीं दिया गया, जिसके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लिखित भाषण भेजना पड़ा।
चीन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति शी जिनपिंग को स्कॉटलैंड में COP-26 जलवायु वार्ता के लिए एक वीडियो संबोधन का मौका नहीं दिया गया। इस वजह से चीन को अपनी लिखित प्रतिक्रिया भेजनी पड़ी है।
बता दें कि जिनपिंग व्यक्तिगत रूप से संयुक्त राष्ट्र की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। अपने लिखित बयान में उन्होंने सभी देशों से अपने वादों को निभाने की अपील की है और आपसी भरोसे और सहयोग को मजबूत करने की बात कही है। मामले को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया को बताया कि जहां तक हम इसे समझते हैं सम्मेलन के आयोजकों ने वीडियो लिंक नहीं दिए।
बता दें कि ब्रिटेन ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में COP-26 बैठक का आयोजन किया है। इसका मकसद नेट जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य को पूरा करना है। इसके साथ ही ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को रोकने के लिए पेरिस समझौते के लक्ष्य को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ोतरी के दायरे में रखने का है।
जलवायु पर नजर रखने वालों एनालिस्ट्स और एक्सपर्ट्स ने चिंता व्यक्त की है कि शी जिनपिंग की ग्लासगो से व्यक्तिगत रूप से अनुपस्थिति का मतलब है कि चीन इस दौर की वार्ता के दौरान और रियायतें देने को तैयार नहीं है। हालांकि चीन का दावा है कि वह आने वाले सालों में कोयले पर अंकुश लगाएगा और अपनी सौर और पवन क्षमता को लगातार आगे बढ़ाएगा।
चीन और अमरीका के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ता पर बुरा असर पड़ रहा है। चीन ने लगातार कहा है कि आप एक चीन पर प्रतिबंध लगाकर चीन को कोयला उत्पादन में कटौती के लिए नहीं कह सकते हैं।
Published on:
02 Nov 2021 07:04 pm
बड़ी खबरें
View Allएशिया
विदेश
ट्रेंडिंग
