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.. तो इसलिए South China Sea पर कब्जा करने के लिए चीन America और इन 7 देशों से ले रहा है टक्कर

HIGHLIGHTS

चीन एक ‘U’ शेप की ‘Nine Dash Line’ के आधार पर क्षेत्र में अपना दावा ठोकता है। इसके अंतर्गत वियतनाम का Exclusive Economic Zone ( EEZ ), परासल टापू, स्प्रैटली टापू, ब्रूने, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपीन और ताइवान के EEZ भी आते हैं।
दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) में जिस क्षेत्र पर चीन अपना अधिकार जमाना चाहता है वह खनिज और ऊर्जा संपदाओं का भंडार ( Mineral and Energy Reserves Reserves ) है।

Jul 17, 2020 / 06:48 pm

Anil Kumar

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China clash with these 7 countries and america to capture the South China Sea

नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) को लेकर अमरीका ने चीन के दावों को खारिज करते हुए अपना रूख साफ कर दिया है। अमरीका ( America ) ने दो टूक कहा है कि चीन को दक्षिण चीन सागर पर अपना साम्राज्य स्थापित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। अमरीका ने चीन पर कई तरह के आरोप भी लगाए हैं, लेकिन चीन ने भी अमरीका की चेतावनी को दरकरिनार करते हुए साफ कर दिया कि वह पीछे नहीं हटेगा और 1000 वर्षों से उसपर उनका अधिकार रहा है।

हाल के दिनों में दक्षिण चीन सागर ( China Claim On South China Sea) पर दावों को लेकर अमरीका और चीन के बीच तनातनी काफी बढ़ गई है, लेकिन ब्रूने, मलेशिया, फिलिपीन, ताइवान, इंडोनेशिया और वियतनाम भी चीन के इस क्षेत्र पर दावे को लगातार चुनौती दे रहे हैं। अब ऐसे में ये सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है कि आखिर चीन दक्षिण चीन सागर पर अधिकार को लेकर अमरीका समेत इन तमाम देशों के साथ भिड़ने को तैयार क्यों है? दक्षिण चीन सागर में ऐसा क्या राज छुपा है जिसपर चीन अपना अधिकार जमाना चाहता है?

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दरअसल, दक्षिण चीन सागर में जिस क्षेत्र पर चीन अपना अधिकार जमाना चाहता है वह खनिज और ऊर्जा संपदाओं का भंडार ( Mineral and Energy Reserves Reserves ) है। ऐसे में अब कोई भी देश जो इसके करीब हो उसे कभी नहीं छोड़ना चाहेगा। यही कारण है, अक्सर देखा गया कि कभी तेल, कभी गैस तो कभी मछलियों से भरे क्षेत्रों के आसपास दूसरे देशों के साथ चीन का टकराव होता रहा है।

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इस आधार पर चीन करता है दावा..

आपको बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। चीन इसके लिए एक ‘U’ शेप की ‘नाइन डैश लाइन’ ( Nine Dash Line ) को आधार बताता है। हालांकि इसी ‘नाइन डैश लाइन’ के अंतर्गत वियतनाम का एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन ( Exclusive Economic Zone, EEZ ), परासल टापू, स्प्रैटली टापू, ब्रूने, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलिपीन और ताइवान के EEZ भी आते हैं।

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लिहाजा, बाकी सभी देश चीन के दावे को खारिज करते हैं। फिलिपींस ने हेग स्थित एक ट्राइब्यूनल ने एक याचिका दायर की थी, जिसपर 2016 में कोर्ट ने कहा था कि चीन का इस क्षेत्र पर कोई ऐतिहासिक अधिकार नहीं है। इससे पहले 1982 के UN Convention on the Law of the Sea के बाद इस लाइन को खत्म कर दिया गया था। हालांकि चीन को इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है।

साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते वर्चस्व को लेकर अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ( US Secretary of State Mike Pompeo ) ने बीते 13 जुलाई को कहा कि यह कानून कि विरुद्ध है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और भारत ने साउथ चाइना सी में चीन की गतिविधियों से चिंता जताई है जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय कानून खतरे में हैं।

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