
नई दिल्ली: चीन ने पाकिस्तान के सुर में अपना सुर मिलते हुए अफगानिस्तान मसले पर आयोजित सुरक्षा वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया है। यह बैठक बुधवार को नई दिल्ली में प्रस्तावित है। पाकिस्तान पहले ही इस बैठक में शामिल होने में असमर्थता जता चुका है। यह बैठक पहली बार भारत द्वारा आयोजित की जा रही है। बैठक में आतंकवाद, सुरक्षा चुनौतियों और अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने से उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं पर चर्चा की जाएगी। पहले पाकिस्तान ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार किया था।
चीन ने भारत के न्योते पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कुछ बाध्यताओं के कारण वह इसमें भाग लेने में असमर्थ है। एक बयान में बीजिंग ने कहा कि वे अफगानिस्तान पर भारत को द्विपक्षीय रूप से शामिल करना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल हमारी प्राथमिकताएं कुछ अलग हैं।
हालांकि चीन के शामिल न होने की वजह बहुत साफ है, लेकिन भारत सरकार चीन-पाकिस्तान की गुटबंदी पर कोई टिप्पणी करने से बच रही है। माना जा रहा है कि चीन की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान द्वारा इस बैठक का बायकॉट करने की वजह से आई है। बैठक में अफगानिस्तान के भीतर और उसकी सीमाओं के पार आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में फैल रही धार्मिक कट्टरता और उग्रवाद की स्थिति पर भी चर्चा की जाएगी। इस क्षेत्र के सामने एक नई चुनौती अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए सैन्य उपकरणों और हथियारों से उत्पन्न होने वाला खतरा है। ऐसी आशंका है कि इनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने या क्षेत्र में संगठित अपराध नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
अफगानिस्तान मुद्दे पर आयोजित होने वाली यह कोई पहली बैठक नहीं थी। सबसे पहले यह 2018 में ईरान में हुई थी, जिसमें पांच देशों- भारत, रूस, अफगानिस्तान, चीन और ईरान ने हिस्सा लिया था। उस समय भी पाकिस्तान को आमंत्रित किया गया था, लेकिन उसने शामिल होने से इनकार कर दिया था। इस साल होने वाली बैठक में अफगानिस्तान को कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया है, तालिबान या पिछली सरकार को भी नहीं।
Updated on:
09 Nov 2021 11:31 am
Published on:
09 Nov 2021 11:26 am
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