
चीन की संसद ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए केवल दो कार्यकाल की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इससे चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग आजीवन इस पद पर बने रह सकेंगे। चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) के करीब 3 हजार सांसदों में से दो- तिहाई बहुमत ने दो कार्यकाल की अनिवार्यता खत्म करने के पक्ष में वोट दिया। इसके बाद सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष संगठन की सात सदस्यीय स्थाइ समिति ने संशोधन के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। फिलहाल जिनपिंग का पांच साल का दूसरा कार्यकाल चल रहा है।
बता दें, पार्टी के प्रस्तावों का लगातार समर्थन करते रहने के कारण तीन हजार से ज्यादा सदस्यों वाली नेशनल पीपुल्स कांग्रेस को रबस स्टंप कहा जाने लगा है। इसलिए पहले से ही कहा जा रहा था कि जिनपिंग का आजीवन राष्ट्रपति बने रहना लगभग तय है।
माओ के बाद शी को देश का सबसे मजबूत नेता माना जाने लगा है, क्योंकि वह देश के राष्ट्रपति होने के अलावा सीपीसी और सेना दोनों के प्रमुख भी हैं।
CPC (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ) की केंद्रीय समिति ने संविधान के उस अनुबंध को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें राष्ट्रपति को केवल दो कार्यकाल के लिए ही चुना जा सकता है।
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार- चीन के संविधान में वर्तमान में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल दो बार से ज्यादा नहीं होने का प्रावधान था। अब यह प्रावधान हटा दिया गया है। पार्टी के सभी अंग भी उन्हें अपना शीर्षतम नेता घोषित कर चुके हैं। जबकि इससे पहले पार्टी सामूहिक नेतृत्व के सिद्धात में विश्वास रखती थी। पिछले साल सामने आए सात सदस्यीय नेतृत्व में भी कोई उनका भावी उत्तराधिकारी नहीं था।
जिनपिंग 2013 में पार्टी के प्रमुख बने थे और इसी साल उन्हें राष्ट्रपति चुना गया था। इसके बाद ही उन्होंने सेना के प्रमुख की कमान संभाली थी। पार्टी ने 2016 आधिकारिक रूप में जिनपिंग को प्रमुख नेता के तौर पर मान्यता दी है।
उल्लेखनीय है कि CPC की पिछले साल हुई कांग्रेस में शी की विचारधारा को संविधान में जगह देने पर भी सहमति जताई थी, जबकि अब तक यह सम्मान आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी देंग शियोपिंग को ही दिया गया था। सीपीसी के इस फैसले का चीन व दुनिया के अन्य देशों में विरोध भी हुआ था।
Published on:
11 Mar 2018 03:44 pm
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