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भारत-चीन से ईयू ने किया अपील, मालदीव में लोकतंत्र बहाली में करें सहायता

यूरोपियन यूनियन की संसद ने 16 पेजों का एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें मानवाधिकार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को प्रयोग करने की बात कही गई है।

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Europian union and maldiv

ब्रसेल्स। मालदीव में उपजी राजनीति संकट पर चिंता जाहिर करते हुए यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने भारत और चीन से हस्तक्षेप कर सुलझाने की अपील की है। यूरोपियन यूनियन ने भारत-चीन सरकार के साथ ईयू के अन्य सदस्य देशों से अपील करते हुए कहा है कि मालदीव में उपजी राजनीतिक संकट को दूर कर लोकतांत्रिक स्थिरता को फिर से बहाल करने में सहायता करें।

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ईयू की संसद में प्रस्ताव पास
आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन की संसद ने 16 पेजों का एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें मानवाधिकार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को सम्मान करने के लिए सभी संसाधनों के प्रयोग करने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जब तक मालदीव में लोकतांत्रिक शासन फिर से बहाल नहीं हो जाता है तब तक यूरोपियन यूनियन की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता को बंद कर दी जनी चाहिए।

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इस साल हर हाल में लोकतंत्र बहाल होना चाहिए : ईयू
आपको बता दें कि ईयू संसद द्वारा पारित इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मालदीव सरकार और व्यापार समुदाय के कुछ लोगों की विदेशों में मौजूद संपत्ति को फ्रीज कर देना चाहिए, साथ ही यात्रा पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि मालदीव में इस साल किसी भी कीमत पर चुनाव करा कर लोकतंत्र को फिर से बहाल कर देना चाहिए। साथ ही महाभियोजक की स्‍वतंत्रता की भी स्‍थापना होनी चाहिए।

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चीन की भारत को चेतावनी
आपको बता दें कि मालदीव की ओर से भारत को सैन्य कार्रवाई करने की अपील की गई थी लेकिन चीन ने अप्रत्यक्ष रुप से एक टूक कहते हुए भारत को मालदीव से दूर रहने की चेतावनी दी थी। कुछ दिनों पहले इंडियन आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने भी कहा है कि मालदीव के मौजूदा संकट में कोई दखल नहीं दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि मालदीव के हालातों में दखल नहीं देने का फैसला पूरी तरह सोच-समझकर लिया गया है। जनरल बिपिन रावत ने एक सवाल के जवाब में ये बातें कही जिसके तहत उनसे पूछा गया था कि क्या भारत को मालदीव में चीन के बढते प्रभाव को देखते हुए वहां के मौजूदा संकट में सैन्य दखल देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि देश के राजनयिकों और राजीतिक इकाई ने मालदीव पर विचार किया और जो सर्वश्रेष्ठ था वह किया।

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