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तालिबान ने अब तक पंचशीर पर नहीं किया बड़ा हमला, विशेषज्ञों की राय में ज्यादा दिन तक बचना मुश्किल

विशेषज्ञों की राय है कि अगर पंचशीर को चारों तरफ से तालिबान ने घेर लिया तो कुछ महीनों से ज्यादा उसका टिकना होगा मुश्किल होगा।

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panjshir

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नई दिल्ली। तालिबान के आतंक से अब तक पूरी तरह से महफूज पंचशीर के लिए आने वाला समय ज्यादा घातक सिद्ध हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान ने अभी तक पूरी ताकत से इस क्षेत्र पर हमला नहीं किया है। अगर यहां बड़ा हमला हुआ तो पंजशीर को बड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है।

पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय के अफगान विशेषज्ञ गाइल्स डोरोनसोरो ने मीडिया से बातचीत में कहा "फिलहाल प्रतिरोध सिर्फ मौखिक है क्योंकि तालिबान ने अभी तक पंजशीर में प्रवेश करने की कोशिश नहीं की है।" उनका कहना है कि अगर इस्लामवादी कट्टरपंथियों ने पूर्ण पैमाने पर हमला करा तो वहां एकत्रित लड़ाकों को संघर्ष करना होगा।

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एक स्वतंत्र शोधकर्ता अब्दुल सईद ने बातचीत में बताया कि अगर तालिबान ने पंजशीर को चारों तरफ से घेर लिया है तो उन्हें नहीं लगता कि मसूद का बेटा कुछ महीनों से ज्यादा विरोध कर सकता है। फिलहाल, उसके पास वास्तव में कोई मजबूत समर्थन नहीं है।

अफगानिस्तान का राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा

पंजशीर सोवियत-अफगान युद्ध के बाद से प्रतिरोध की भूमि बना हुआ है क्योंकि अहमद शाह मसूद, जिसे पंजशीर के शेर के रूप में जाना जाता है,उसने क्षेत्र का बचाव किया। पहाड़ी इलाके में होने के कारण इस क्षेत्र को भौगोलिक लाभ मिलता है। 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे के बाद अफगानिस्तान का राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा या जिसे दूसरा प्रतिरोध कहा जा रहा है, वह भी पंजशीर घाटी के केंद्र में आकार ले रहा है। अहमद मसूद, अमरुल्ला सालेह जिन्होंने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है, और बिस्मिल्लाह खान मोहम्मदी नए पंजशीर प्रतिरोध के नेता हैं।

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ब्रिटेन और ईरान में निर्वासन में वर्षों बिताए

अफगान विशेषज्ञ डोरोनसोरो का कहना है कि अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद के बीच का बड़ा अंतर। मसूद ने ब्रिटेन और ईरान में निर्वासन में वर्षों बिताए, अपने पिता की छाया में रहा, उसका राजनीतिक दबदबा बहुत कम है। वहीं दूसरी ओर अमरुल्ला सालेह वर्षों से अफगानिस्तान की सत्ता में बना रहा। उनका कहना है कि शुरू से ही दोनों के बीच तनाव रहा है। ऐसे में इस संघर्ष में ज्यादा दिन तक टिकना पंचशीर के लिए कठिन हो सकता है।