कुछ सालों से यहां बढ़ रही थी चीन की हलचल
दरअसल पिछले कुछ सालों में चीन की पनडुब्बी, युद्धपोत, परमाणु पनडुब्बी भारत के हिस्से वाले समुद्री इलाके में देखे गए हैं। बताया जा रहा है इसके पीछे चीन का मंसूबा हिंद महासागरीय क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना था। हाल ही में भारतीय नौसेना ने इन इलाकों में चीनी युद्धपोतों के घुसपैठ की तस्वीर ट्वीट करके बीजिंग को स्पष्ट किया था कि वो इस क्षेत्र में चीन की हलचल पर नजर बनाए हुए है। बता दें कि भारतीय नौसेना ने इस इलाके में 19 महत्वपूर्ण युद्धपोत तैनात किए हैं और इनकी मरम्मत और नवीनीकरण के लिए दो तैरने वाले जहाज गोदाम का भी इंतजाम किया है।
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विश्व व्यापार के लिहाज से अहम क्षेत्र
आपको बता दें कि विश्व व्यापार के लिहाज से मलक्का, सुंदा और लुम्बोक जलडमरूमध्य के समुद्री रास्ते बहुत अहम है। ये संकरे रास्ते हिंद महासागर को दक्षिणी चीन सागर से जोड़ते हैं। विश्व व्यापार का 70 फीसदी आयात-निर्यात इन्हीं संकरे रास्तों से होकर गुजरता है।
इस वक्त लिया गया था फैसला
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सुरक्षा बढ़ाने का ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक वार्ता के बाद लिया गया। बता दें कि पिछले महीने दोनों देशों की तरफ से 3,488 किमी लंबी और विवादित नियंत्रण रेखा पर शांति बनाने पर जोर दिया गया था।