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पहली बार एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगे भारत-पाक के सैनिक, एससीओ ने किया अयोजन

इस अभ्यास का मकसद एससीओ के सदस्य देशों में आतंक के खिलाफ आपसी सहयोग बढ़ाना है।

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पहली बार एक साथ सैन्य अभ्यास करेंगे भारत-पाक के सैनिक, एससीओ ने किया अयोजन

भारत और पाकिस्तान के सैनिक सीमा पर भले ही एक दूसरे-पर बंदूकें ताने रहत हों, किंतु कई बार उन्हें एक साथ भी होना पड़ता है। ऐसी ही स्थिति अब बनी है। दरअसल, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने बड़े स्तर पर आतंक रोधी अभ्यास का आयोजन किया है। इसके तहत भारत और पाकिस्तान की सेनाएं रूस में इस अभ्यास में एक साथ शामिल होंगी। इस अभ्यास का उद्देश्य आतंक और चरमपंथ बढ़ रही बुर्रा से निपटने के लिए एससहबां सदस्यों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाना है। बता दें, भारत पिछले साल जून में ही एससीओ का पूर्ण मेंबर बना है।

इसलिए भारत पहली बार इस अभ्यास में हिस्सा ले रहा है। बता दें, एससीओ की पहल के तहत हर दूसरे साल एससीओ सदस्य देशों के लिए एससीओ शांति मिशन अभ्यास का आयोजन करता है।

नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस नोट के अनुसार- इस अभ्यास में भारत का 200 सदस्यीय दल शामिल होगा। इसमें इंफैंट्री के सैनिक और वायुसेना के कर्मी सहित अन्य सैन्य कर्मी शामिल हैं।

यह संयुक्त अभ्यास रूस के चेबारकुल में 29 अगस्त तक चलेगा। इसे रूस के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की ओर से आयोजित किया गया है। चीनी मीडिया में प्रकाशित रिपोट्स के के अनुसार- अभ्यास में चीन, रूस, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिजस्तान, भारत और पाकिस्तान के कम से कम 3000 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार उजबेकिस्तान के 10 प्रतिनिधि पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं।

बता दें, इसी साल बीजिंग में एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हुई थीं। इसमें भी उन्होंने भारत के इस अभ्यास में शामिल होने की पुष्टि की थी। उन्होंने बताया था कि आजादी के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही सैन्य अभ्यास का हिस्सा होंगे। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा मिशन में साथ काम किया है।

शंघाई में 2001 में हुई थी एससीओ की स्थापना
रूस , चीन , किर्गिज गणराज्य , कजाखस्तान , ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी। भारत और पाकिस्तान को 2005 में इस समूह के पर्यवेक्षकों के तौर पर शामिल किया गया था। पिछले साल दोनों देशों को पूर्ण सदस्य बनाया गया।