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मालदीव संकट: पूर्व राष्ट्रपति की चीन को फटकार, कब्जा नहीं मुक्तिदाता है भारत

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने चीन को दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि भारत कब्जा करने वाला नहीं बल्कि मुक्तिदाता है।

Feb 08, 2018 / 09:39 am

Chandra Prakash

Political Crisis
नई दिल्ली। मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने चीन को दो टूक जवाब देते हुए फिर भारत से मालदीव के ताजा घटनाक्रम में दखल देने की गुहार लगाई। नशीद ने कहा कि उनके देशवासी नई दिल्ली से सकारात्मक भूमिका की उम्मीद करते हैं।

चीन को पूर्व राष्ट्रपति की फटकार
उन्होंने कहा कि 1988 में संकट के समय भारत ने अपना प्रभुत्व नहीं जमाया था, बल्कि मुक्तिदाता की भूमिका निभाई थी। नशीद का यह बयान चीन की ओर से भारत को मालदीव के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देने की चेतावनी की अस्वीकारोक्ति है, जिसमें चीन की ओर कहा गया कि इससे स्थिति जटिल बन जाएगी।
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भारत के सहयोग पर चीन को थी आपत्ति
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, “मालदीव में मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मामला है। इसे संबंधित पक्षों को बातचीत और आपसी संपर्क से समुचित तरीके से सुलझाना चाहिए। “गेंग ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मालदीव में कार्रवाई करने के बजाए देश की संप्रभुता का सम्मान कर सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। कार्रवाई करने से मौजूदा स्थिति जटिल हो सकती है।

पूर्व राष्ट्रपति ने मांगी थी सैन्य मदद
मंगलवार को नशीद ने ट्वीट में कहा, “मालदीव के लोगों की ओर से हम भारत से सैन्य ताकत के साथ राजदूत भेजने का निवेदन करते हैं, ताकि न्यायाधीशों और राजनीतिक बंदियों को मुक्त कराया जाए। हम भारत की वहां उपस्थिति का अनुरोध करते हैं। साथ ही अमेरिका से मालदीव सरकार के नेताओं को अमेरिकी बैंकों के जरिए होने वाले सारे वित्तीय लेन-देन बंद करने का आग्रह करते हैं।”

मालदीव में जारी है राजनीतिक संकट
भारत ने सख्त रुख जाहिर करते हुए कहा कि वह मालदीव के हालात से ‘व्यथित’ है, जहां सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश व अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों को जेल में डालकर आपातकाल घोषित कर दिया गया है। यामीन ने पिछले गुरुवार को शीर्ष अदालत के फैसले के बाद देश में आपातकाल घोषित कर दिया था। अदालत ने नशीद समेत नौ राजनीतिक बंदियों को मुक्त करने और सत्ताधारी पार्टी से बगावत करने के लिए बर्खास्त किए गए 12 सांसदों की शक्ति दोबारा बहाल करने और सर्वोच्च न्यायालय की ओर से विपक्ष में मतदान करने पर पूर्व में लगाए गए प्रतिबंध को रद्द करने का आदेश दिया था।

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