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मालदीव सकंट पर राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने बताया, क्यों लगानी पड़ी इमरजेंसी

locationनई दिल्लीPublished: Feb 07, 2018 10:27:55 am

Submitted by:

Chandra Prakash

मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन इमरजेंसी लागू करने के बाद पहली बार बताया है कि आखिर उन्हें ये कदम क्यों उठाना पड़ गया।

Maldives Political Crisis
नई दिल्ली। मालदीव में गहराए राजनीतिक संकट पर पूरी दुनिया की नजर है। इसी को देखते हुए देश में आपातकाल लगाने और प्रधान न्यायाधीश को जेल में बंद करने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन पहली बार सामने आए हैं। अब्दुल्ला यामीन ने अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में बताया कि आखिर देश में आपातकाल जैसे कदम क्यों उठाने पड़ गए।
भ्रष्टाचार में संलिप्त थे प्रधान न्यायाधीश
यामीन ने मंगलवार को कहा कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा क्योंकि शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश और एक अन्य न्यायाधीश भ्रष्टाचार में संलिप्त थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अदालत का आदेश नहीं मानने की वजह से ये लोग उनके खिलाफ महाभियोग समेत अन्य साजिशों से तख्तापलट की तैयारी कर रहे थे।
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भ्रष्टाचारियों ने कोर्ट ने किया था रिहा
मालदीव की मीडिया के अनुसार, यामीन ने अपने संबोधन की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को नौ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि यह आदेश उनकी सरकार के लिए ‘विश्वास नहीं करने वाला झटका’ था क्योंकि इसमें आतंकवाद और भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे कैदियों को रिहा करने का फैसला दिया गया था।
अटॉर्नी जनरल की भी नहीं सुन रहा था सुप्रीम कोर्ट
राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल और देश के महाभियोजक ऐशथ बिसम से इस संबंध में सलाह लिया। दोनों ने कहा कि संबंधित संवैधानिक जनादेश के आधार पर इस आदेश का लागू करना ‘आसान नहीं होगा’। यामीन ने जोर देकर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले के संबंध में महाभियोजक और अटॉर्नी जनरल की ओर से दाखिल कानूनी चिंताओं को स्वीकार करने से मना कर दिया। अदालत ने हाल ही में अपने आदेश में कहा था कि न्यायिक आयोग सेवा (जेएससी) कोर्ट के आदेशों की जांच नहीं कर सकता। ऐसे में जेएससी की भी मदद नहीं ली जा सकी।
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न्यायिक भ्रष्टाचार ले गया अपातकाल तक
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और महाभियोजक को उनके पद से हटाने पर भी विचार किया और पुलिस प्रमुख जैसे कुछ लोगों को फिर से पद पर आसीन कर दिया जिन्हें उन्होंने (यामीन ने) हटाया था। राष्ट्रपति ने कहा कि अटॉर्नी जनरल और महाभियोजक कार्यालय भी देश में स्वतंत्र संस्थान हैं और दोनों के पास कानूनी दायित्वों से अलग हटकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय देने पर सवाल उठाने का अधिकार है। यामीन ने कहा कि इसके बाद ही हमने काफी गंभीरता से इस मामले को देखना शुरू किया और यह पता लगाया कि सुप्रीम कोर्ट को कौन सी चीजें प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जांच के दौरान न्यायिक प्रशासक हसन सईद के हुलहुमाले में फ्लैट खरीदने के बारे में पता लगा, जोकि भ्रष्टाचार से संबंधित मामला था। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और अन्य न्यायधीश अली हामिद के खिलाफ भी ऐसे ही मामले का पता चला। यामीन ने कहा कि हसन के खिलाफ वारंट जारी होने और उनके भूमिगत होने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट समाप्त कर दिया। राष्ट्रपति ने कहा, “इन सब कारणों से, मुझे आपातकाल लगाने को मजबूर होना पड़ा।”
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