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अब पाकिस्तानी मीडिया ने अलापा कश्मीर राग, हिंसा के लिए सेना को ठहराया जिम्मेदार

पाकिस्तानी अखबार डॉन ने भारत और कश्मीर सरकार को जम्मू कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए नीतियों की समीक्षा करने की नसीहत दी है।

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Chandra Prakash Chourasia

May 08, 2018

Kashmir policy

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार के बाद अब पाकिस्तानी मीडिया पर कश्मीर का अलाप रही है। कश्मीर के शोपियां जिले में पांच आतंकवादियों और छह पत्थरबाजों के मारे जाने के दो दिन बाद पाकिस्तान के एक अग्रणी अखबार ने भारत सरकार और जम्मू एवं कश्मीर सरकार को नसीहत दी है। इसके साथ ही कश्मीर में अशांति के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराया है।

कश्मीर पर नजरिया बदलने की नसीहत

पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन ने अपने संपादकीय में कहा, 'कश्मीर में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए ज्यादा हिंसा प्रयोग करने और आगे के खूनी खेल के चक्र को बढ़ावा देने के बदले श्रीनगर और दिल्ली में बैठकर जो गोली चलाने के आदेश देते हैं, उन्हें अपने दृष्टिकोण में बदलाव करने की जरूरत है।' अखबार ने लिखा है कि समस्याग्रस्त जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के लिए कश्मीरी नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।

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सेना को ठहराया हिंसा का जिम्मेदार

डॉन ने अपने संपादकीय में भारतीय सेना पर भी सवाल उठाए हैं। उसने लिखा है कि कश्मीर घाटी में अशांति पर सैन्य प्रतिक्रिया 'एक भयानक विफलता' है। इतना ही नहीं अखबार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर इसमें बदलाव नहीं होता है तो, पूरा क्षेत्र विरोध प्रदर्शनों के एक नए भंवर में समा जाएगा।

समस्या सुलझाने की दी नसीहत

खुद का देश आतंकवाद और गरीबी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा है, ऐसे में पाकिस्तानी अखबार ने भारत को कश्मीर मुद्दे पर सम्मान की सीख देने की बात भी लिखी है। संपादकीय के अनुसार, 'भारत को निश्चय ही कश्मीर के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए और लोगों की जायज समस्याओं को सुलझाना चाहिए, लेकिन ऐसा होते नहीं दिख रहा है।

हर बात के लिए सेना जिम्मेदार नहीं: रक्षा मंत्री

डॉन की संपादकीय के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कश्मीरी युवकों के आतंकवादियों में शामिल होने के लिए सशस्त्र बलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। ऐसा कहकर उन्होंने संकेत दिया कि हिंसक कट्टरवाद से सामना करने के लिए सरकार की कठोर नीति में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि मुझे लगता है कि मुद्दे को समझने की जरूरत है, जो जरा से फर्क के साथ बहुत संवेदनशील है। आप आतंकियों के साथ कठोरता से पेश आने के लिए सशस्त्र बलों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। हमें सख्त होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी चीजों के लिए सशस्त्र बलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।