किताब का नाम ‘In The Camps: China’s High-Tech Penal Colony’ है और इसमें चीन सरकार की ओर से मुस्लिम समुदाय पर हो रहे अत्याचार का खुलासा किया गया है। किताब में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की एक छात्रा वेरा झोऊ के केस का उदाहरण दिया गया है।
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वेरा झोऊ को हाल ही में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का इस्तेमाल कर अपने स्कूल के जीमेल अकाउंट को खोलने के लिए हिरासत में ले लिया गया था। बताया जा रहा है कि छात्रा ने इस जी-मेल अकाउंट को चीन के झिनजियांग में अपना होमवर्क सब्मिट करने के लिए खोला था।
‘In The Camps: China’s High-Tech Penal Colony’ नाम की यह किताब गत मंगलवार को जारी कई गई। किताब में वेरा झोऊ के अलावा 11 अन्य मुस्लिम महिलाओं का जिक्र है, जिन्हें पुलिस ने प्री-क्रिमिनल कहा है।
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किताब के अनुसार, वेरा झोऊ को हिरासत में लेने के बाद उनसे कहा गया कि उन्हें री-एजुकेशन क्लास में भेजा जा रहा है। वेरा झोऊ के मुताबिक वो काफी दिनों तक कैद में रहीं और यहां तक कि साल 2018 में नया साल कैद में ही बिताया था। वेरा झोऊ कैंप में करीब 6 महीने तक रही थी। उन्हें इस शर्त पर छोड़ा गया कि उन्हें सोशल स्टैबिलिटी वर्कर को रिपोर्ट करना होगा।
कैंप से छूटने के बाद भी वेरा झोऊ ऐसा महसूस करती थीं कि वह डिजीटली रूप से कैद हैं। वेरा झोऊ को मुस्लिम प्री-क्रिमिनल तक कहा गया। बता दें कि चीन में बनाए गए डिटेन्शन सेंटर में 1 मिलियन उइगुर लोग और अन्य मुस्लिम संगठनों से जुड़े लोगों को कैंप में रखा है। कैंपों में रखे गये इन लोगों से जबरन काम कराया जाता है और इनपर कई तरह के जुल्म किये जाते हैं।