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अफगानिस्तान शांति वार्ता में कितनी अहम है पाकिस्तान की भूमिका

locationनई दिल्लीPublished: May 07, 2019 09:55:30 am

अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों ने आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को बदहाल कर दिया है।
ऐसा आरोप लगता रहा है कि तालिबानी आतंकियों को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है।
अब अफगान सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद तालिबानी आतंकियों की कमर टूट गई है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान

अफगानिस्तान शांति वार्ता में कितनी अहम है पाकिस्तान की भूमिका

लाहौर। पड़ोसी देश होने के नाते अफगानिस्तान ( Afghanistan ) का भारत के लिए स्वाभाविक रूप से बहुत महत्व है। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में पाकिस्तान ( Pakistan ) की बेहद अहम भूमिका है। अफगानिस्तान इन दिनों अपना क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अपनी वास्तविक आर्थिक क्षमता का एहसास करने, गरीबी उन्मूलन और लोगों के कल्याण के लिए काम करने के मूड में है। बीते दस सालों से तालिबान ( Taliban ) द्वारा की गई बर्बादी ने देश में आर्थिक और सामाजिक बदहाली का नया रिकॉर्ड बना दिया है। लम्बे समय तक पाकिस्तान पर अविश्वास करने वाले अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अब यह जान लिया है कि बिना पाकिस्तान के उनके देश में कोई शांति स्थापना नहीं हो सकती। इसका सबसे बड़ा कारण है तालिबान के नेटवर्क का पाकिस्तान में शरण पाना। आइये जाने की कोशिश करते हैं कि अफगान शांति प्रक्रिया के लिए पाकिस्तान कितना कितना जरूरी है?

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पाकिस्तान का तिकड़मी खेल

लम्बे समय तक अफगानिस्तान में खेल खेलने वाले पाकिस्तान ने उसे बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पाकिस्तान ने न सिर्फ अफगानिस्तान को आर्थिक रूप से बदहाल किया बल्कि देश में आतंकियों और उपद्रवी ताकतों को समर्थन देकर समूचा सामाजिक ताना बना बिगाड़ दिया। पाक नीतियों के चलते आतंकवाद की जड़ें अफगानिस्तान में इतनी मजबूत हुईं कि देश का राजनैतिक नेतृत्व कुछ नहीं कर पाया और अफगानिस्तान का हर एक इलाका अंदर से खोखला हो गया। अफगानिस्तान में अस्सी के दशक में चला गृहयुद्ध उसे बुरी तरह तबाह कर गया। जिसका फायदा पूरी तरह पाकिस्तान ने उठाया। फिलाहल अब दोनों देशों के बीच बर्फ पिछलने की उम्मीद है। रविवार को अफगान राष्ट्रपति ने पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को फोन किया और दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि से संबंधित मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और अफगानिस्तान में शांति बहाल करने का वचन लिया।

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क्या कहना है पाकिस्तान का

पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ( pakistan prime minister imran khan ) ने कहा कि दोनों देशों के लोगों की खातिर शांति स्थापना में मदद करना, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय समृद्धि के लिए कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाना साझा उद्देश्य होना चाहिए। इमरान खान ने अब अफगानिस्तान के प्रति भाईचारे की भावना को बढ़ाने का संकल्प लिया है। हाल के दिनों में अफगानिस्तान के प्रति पाकिस्तान के ने दृष्टिकोण को परिभाषित किया गया है। हाल में ही पाक पीएम ने कहा था कि लंबे समय तक अफगान संघर्ष ने अफगानिस्तान को नुकसान पहुंचाया है और पिछले कई दशकों में पाकिस्तान पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। असल में अमरीकी और अफगान बलों के प्रतिरोध के चलते तालिबानी आतंकी अब अफगानिस्तान में बहुत अधिक संकट का सामना कर रहे हैं इसके चलते बीते तीन सालों में वह पाकिस्तान की ओर रुख कर चुके हैं। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह और वजीरिस्तान में बीते दो सालों में तालिबान के लड़ाकों ने कई वारदातों को अंजाम दिया है। अब पाक पीएम इमरान खान ने अफगान संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए अपना दृष्टिकोण दोहराया और उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी को आश्वासन दिया कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। अब उन्होंने अफगानिस्तान को भाई बताया है। हो सकता है कि दोनों देशों के बीच जल्द ही कोई शिखर वार्ता हो जाए।

 

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