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पाकिस्तान ने हवाई क्षेत्र खोलने लिए भारत के सामने रखी शर्त, कहा- बालाकोट जैसा हमला दोबारा न हो

Balakot airstrike: 26 फरवरी के बाद से इस हवाई क्षेत्र को बंद किया प्रतिबंध को 28 जून तक के लिए बढ़ाया गया है

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पाकिस्तान ने पूर्वी हवाई क्षेत्र को खोलने लिए रखी शर्त, कहा- बालाकोट जैसा हमला दोबारा न हो

नई दिल्ली। पाकिस्तान ने भारत के लिए अपने पूर्वी हवाई क्षेत्र को खोलने को लेकर अजीब शर्त रखी है। शर्त में कहा गया है कि भारत ये वादा करे कि वह दोबारा बालाकोट जैसे हमले नहीं दोहराएगा। गौरतलब है कि इस हवाई क्षेत्र के बंद हो जाने से भारत से जाने और आने वाली उड़ानों को लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। 26 फरवरी 2019 को बालाकोट एयरस्ट्राइक (Balakot airstrike) के बाद से पाकिस्तान ने भारत के लिए इस हवाई क्षेत्र को बंद कर रखा है।

40 जवानों की शहादत का बदला लिया

गौरतलब है कि यह हवाई क्षेत्र पाकिस्तान ने बालाकोट में भारतीय एयरस्ट्राइक के बाद बंद कर दिया था। भारतीय वायुसेना ने 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए 40 जवानों की शहादत का बदला लेते हुए यह कार्रवाई की थी। पुलवामा हमले को पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था। इसके मुख्य ठिकाने बालाकोट में थे। ऐसे में भारत ने पाकिस्तान में घुसकर उसके चार ठिकानों को उड़ा दिया था।

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प्रतिबंध को 28 जून तक के लिए बढ़ाया

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंध को 28 जून तक के लिए बढ़ाया गया है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र को तब तक बंद रखेगा जब तक कि उसे भारत से किसी तरह का आश्वासन नहीं मिल जाता। वह चाहता है कि भारत बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक को दोबारा न दोहराए। बालाकोट हमले के बाद 27 मार्च को पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को भारत के अलावा सभी उड़ानों के लिए खोल दिया था। मगर 15 मई के बाद से पूर्वी हवाई क्षेत्र पर लगे प्रतिबंध को तीन बार बढ़ाया गया है।

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पर्दे के पीछे से भी किसी तरह की पहल नहीं हुई

इस हफ्ते की शुरुआत में पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) ने कहा था कि इस हवाई क्षेत्र को बंद करने के पीछे सुरक्षा को सर्वोपरी रखा गया है। वह भारत से यह आश्वासन चाहते है कि बालाकोट जैसे हमले दोबारा न हो। मगर उनकी भारत सरकार के साथ कोई अधिकारिक बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह बहुत हैरानी वाली बात है कि प्रतिबंध को हटाने के लिए पर्दे के पीछे से भी किसी तरह की पहल नहीं हुई है। जबकि दोनों देशों की एयरलाइंस को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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