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पाक ने तालिबान से की शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील

पाकिस्तान ने आतंकी संगठन तालिबान को शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की है।

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 Taliban

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इस्लामाबादः पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने तालिबान से शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील की थी। पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा है कि तालिबान को शांति प्रक्रिया में सहयोग देकर इलाके में जनहित के कार्य करना चाहिए। तालिबान से शांति प्रक्रिया में सहयोग देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में पाकिस्तान को भी अलग-अलग नहीं किया जा सकता। पाक विदेश मंत्रालय का यह बयान एक साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान आया है।

अफगानिस्तान ने तालिबान को दिया था प्रस्ताव

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पिछले महीने तालिबान को शांति प्रक्रिया का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव के तहत तालिबान को राजनीतिक दल के रूप में मान्यता देने की बात कही गई थी। इसके अलावा उन्होंने तालिबान को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक कार्यालय खोलने का प्रस्ताव दिया गया था। अशरफ गनी ने कहा था कि अगर तालिबान शांति प्रक्रिया में शामिल होता है तो उनका देश संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी ब्लैकलिस्ट से उसके सदस्यों के नाम को हटाने की भी सिफारिश करेगा। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा था कि शांति बहाली होने पर तालिबान के सदस्यों को पासपोर्ट भी जारी किया जाएगा।

कौन है तालिबान ?

तालिबान एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है, जिसका उदय साल 1994 में दक्षिणी अफगानिस्तान में हुआ था। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। इस संगठन के लोग इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान को आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है। इसका प्रभाव अफग़ानिस्तान और पाकिस्तान में सबसे अधिक है। दुनिया का ध्यान तालिबान की ओर तब गया जब अमरीका के न्यूयॉर्क में साल 2001 में हमले किए गए। 9/11 के बाद से अमरीका और अफगानिस्तान मिलकर तालिबान को जड़ से सफाया करने के लिए अभियान चला रहे हैं।