
जबीहुल्ला मुजाहिद
नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में अजेय बने पंजशीर घाटी को लेकर तालिबान ने अलग राह पकड़ी है। इस कड़ी में तालिबान (Taliban) ने अपने 40 सदस्यों के एक प्रतिनिधमंडल को समझौते के लिए पंजशीर घाटी की सेनाओं के पास भेजने का फैसला किया है। हालांकि, इस वार्ता का निष्कर्ष क्या निकला, यह अभी तक साफ नहीं है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंजशीर प्रतिरोध के साथ शांति समझौता करने की संभावना है।
80 प्रतिशत आश्वस्त हैं
उन्होंने कहा कि दोनों समूहों के शीर्ष नेता बातचीत कर रहे हैं। वह अफगानिस्तान में मुक्त भूमि पंजशीर घाटी में युद्ध के बिना समाधान को लेकर 80 प्रतिशत आश्वस्त हैं। यदि तालिबान और तालिबान विरोधी ताकतों के बीच एक शांति समझौता होता है, तो पंजशीर फिर से तालिबान से मुक्त रहेगा, जैसा कि 1996 और 2001 के बीच था। जब देश के बाकी हिस्सों में तालिबान का शासन था।
तालिबान प्रवक्ता ने कहा "हम पंजशीर के लोगों के संपर्क में हैं। हम बड़ों, प्रभावशाली लोगों और जिहादी कमांडरों के साथ बातचीत कर रहे हैं। वार्ता जल्द ही युद्ध के बिना समस्या का समाधान करेगी। मुजाहिद ने कहा कि मुझे 80 प्रतिशत विश्वास है कि जल्द ही एक शांति समझौता किया जाएगा।"
आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया
तालिबान और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (पंजशीर रेसिस्टेंस आर्मी) पंजशीर प्रांत में हथियार उठा रहे हैं क्योंकि एनआरएफ नेता मसूद, अहमद शाह मसूद के बेटे और कार्यवाहक अध्यक्ष अमरुल्ला सालेह ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया है। एनआरएफ ने काबुल में घुसने के बाद पोल-ए-हेसर, देह सलाह और बानो जिलों पर भी कब्जा कर लिया है।
गौरतलब है कि पंजशीर में तालिबान विरोधी सेना का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद ने बीते रविवार को तालिबान के साथ शांतिपूर्वक वार्ता होने की उम्मीद जताई थी। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, 'हम तालिबान को यह एहसास कराना चाहते हैं कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका वार्ता है। हम नहीं चाहते कि युद्ध छिड़े।'
Published on:
25 Aug 2021 08:21 pm
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