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तालिबान ने सरकार को दी सीधी धमकी, कहा- चुनावी रैलियों को बनाया जाएगा निशाना

अफगानिस्तान में सरकार और तालिबान के बीच कई वर्षों से संघर्ष चल रहा है अमरीकी सेना 2001 से अफगानिस्तान में तैनात है और तालिबानी लड़ाकों के साथ लड़ रही है

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तालिबानी लड़ाके

काबुल।अफगानिस्तान में सरकार और तालिबान में सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष के बीच मंगलावार को तालिबान ने एक बड़ी धमकी दे दी है। अफगान शांति वार्ता की प्रक्रिया बढ़ने के साथ ही तालिबान ने आक्रामक रूख अपना लिया है।

तालिबान ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति चुनाव के लिए होने वाली रैलियों पर हमले किए जाएंगे। अफगानिस्तान में चल रहे 18 साल पुराने युद्ध को समाप्त करने के लिए आतंकवादी समूह और अमेरिका के बीच शांति वार्ता के बीच यह चेतावनी जारी की गई है।

तालिबान की चेतावनी: अमरीकी सैनिकों के लौटने तक अफगान सरकार से सीधी बातचीत नहीं

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने एक बयान में कहा है कि यह चुनावी प्रक्रिया आम लोगों को धोखा देने के अलावा और कुछ भी नहीं है। क्योंकि सभी समझते हैं कि अंतिम निर्णय लेने की शक्ति उनके (विदेशियों) पास है।

तालिबान ने इसे एक नाटकीय चुनाव करार देते हुए मतदान बहिष्कार की धमकी दी और कहा कि उसके लड़ाके इस प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के लिए कुछ भी करेंगे।

28 सितंबर को होंग राष्ट्रपति चुनाव

मीडिया के साथ साझा किए गए बयान में तालिबान की ओर से कहा गया है कि नुकसान रोकने के लिए लोगों को उन सभाओं और रैलियों से दूर रहना चाहिए, जो हमारे संभावित लक्ष्य बन सकती हैं।

समूह ने पश्चिमी शक्तियों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें इस बेशर्म प्रक्रिया का समर्थन करने के बजाय अपनी ऊर्जा और संसाधनों को बातचीत के रास्ते पर खर्च करनी चाहिए, ताकि महत्वपूर्ण समय में चल रही शांति प्रक्रिया के दौरान कोई हिंसा न हो।

आपको बता दें कि अफगानिस्तान में 28 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। राष्ट्रपति अशरफ गनी दूसरी बार सत्ता हासिल करना चाह रहे हैं। वहीं इस चुनाव में अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में से एक हैं।

अफगान शांति वार्ता से किसको, कितना फायदा, आखिर तालिबान से क्या बात कर रहा है अमरीका ?

चुनाव प्रक्रिया 28 जुलाई को अशरफ गनी की रैलियों के साथ शुरू हो चुकी है। बता दें कि अफगानिस्तान में आए दिन तालिबानी लड़ाके हमले करते रहते हैं।

तालिबानियों के खिलाफ 2001 से अमरीकी सेना लड़ाई लड़ रही है, लेकिन अब अमरीकी सैनिकों की वापसी को लेकर तालिबान एक बार फिर से अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज होने को लेकर लड़ाई तेज कर दी है।

तालिबान ने यह भी कहा कि अफगान सरकार का देश के एक सीमित क्षेत्र पर नियंत्रण है और बहुत कम संख्या में मतदाता चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं।