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भारत से विवाद के कारण मात खा रहा चीन, पाक को छोड़ उससे कोई भी हथियारों की डील नहीं करना चाहता

फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते माह फिलीपींस और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बाद से अब अधिकतर देश चीन के साथ भागीदारी करने से कतरा रहे हैं।

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Xi Jinping

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नई दिल्ली। भारत के अलावा दुनियाभर में आक्रामक रवैये को लेकर चीन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कई देशों ने उसकी इन हरकतों को लेकर अपने रिश्ते सीमित कर लिए हैं। इसके साथ चीन से हथियार और अन्य सैन्य सामग्रियों के आयात को कम करना शुरू कर दिया है। हालत यह हो गए है कि अब बड़े देश तो क्या पाकिस्तान को छोड़कर कोई भी देश चीन के हथियार और लड़ाकू विमान खरीदना नहीं चाहता है।

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फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते माह फिलीपींस और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बाद अब अधिकतर देश चीन के साथ भागीदारी करने से कतरा रहे हैं। चीन का सबसे अच्छा दोस्त पाकिस्तान ही उसके हथियार खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। गौरतलब है कि बीते माह चीनी नौसेना के जहाज बिना मंजूरी के फिलीपींस के जल क्षेत्र में घुस गए थे।

मलेशिया और इंडोनेशिया चीन से नजरें चुरा रहे

रिपोर्ट के अनुसार चीन लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ विवाद में उलझा हुआ है। इसके चलते दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव है। भारत दूसरे देशों से हथियार आयात करता है, मगर वह चीन से सैन्य उपकरण नहीं खरीदता। ऐसा वियतनाम के साथ भी है। वियतनाम और चीन के बीच समुद्री क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन अपने लड़ाकू विमान बेचना चाहता है, मगर मलेशिया और इंडोनेशिया भी उसके खरीदार बनने को राजी नहीं हैं।

यह है ड्रैगन की ख्वाहिश

हथियारों के लिए चीन पर सबसे ज्यादा पाकिस्तान ही निर्भर रहा है। इस्लामाबाद ने बीते पांच वर्षों में जितने हथियार आयात किए हैं, उनमें से 74 फीसदी की हिस्सेदारी चीन की है। रिपोर्ट के अनुसार चीन की इस असफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी विदेश नीति है।

चीन की पॉलिसी है कि वह सबसे बड़ा निर्यातक बने। इसलिए डील के लिए अपनी व्यापारी नीति को बिल्कुल भी लचीला नहीं बनाता है। तकनीक हस्तांतरित जैसी नीति को वह नहीं अपनाना चाहता है।

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भारत में हथियारों का आयात हुआ कम

इस साल स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि 'आत्मनिर्भर भारत' स्कीम के तहत भारत लगातार खुद पर निर्भर होता जा रहा है। वर्ष 2011-2015 और 2016-20 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 33 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं चीन का निर्यात भी 7.8 फीसदी गिरा है।