डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला सीटीडी-गुजरांवाला ने दर्ज कराया था। अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा के बीच दोनों कट्टरपंथी नेताओं को अदालत के सामने पेश किया।
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JuD के वकील नसीरुद्दीन नायर और इमरान फजल गिल बार एसोसिएशन द्वारा हड़ताल के कारण उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद हालांकि एक उप अभियोजक ने संदिग्धों के खिलाफ चार्जशीट पेश की और पीठासीन न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने आरोप तय किए।
JuD ने सभी आरोपों से किया इनकार
JuD नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है। वहीं न्यायाधीश ने शनिवार को अभियोजन पक्ष के गवाहों को तलब किया। अदालत ने आतंक के वित्तपोषण के एक अन्य मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के बयान भी दर्ज किए।
इससे पहले इन मामलों में बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी थी कि जेयूडी नेताओं के खिलाफ आरोप बेबुनियाद हैं और यह पाकिस्तान सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आरोपियों पर गलत तरीके से प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के नेताओं के रूप में आरोप लगाए गए थे।
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उन्होंने कहा कि आरोपियों ने लश्कर को वर्ष 2002 में प्रतिबंधित घोषित किए जाने से पहले ही संगठन छोड़ दिया था। वकील ने आरोप लगाया कि सीटीडी ने बिना किसी पुख्ता सबूत के मामले दर्ज किए हैं।
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