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जब पशु चुराने के आरोप का विरोध करने चीनी दूतावास में भेड़ लेकर पहुंच गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

एक रोचक किस्सा आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसने अटल जी के साहस और उनकी कूटनीतिक सूझबूझ को दुनिया के सामने जाहिर किया।

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बीजिंग। अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम नई दिल्ली के एम्स में 93 बर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के बाद देश के साथ-साथ दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई। अटल बिहारी वाजपेयी अपनी नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते थे। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से जुड़ी ऐसी कई बाते हैं जो बेहद दिलचस्प हैं। ऐसा ही एक रोचक किस्सा आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसने अटल जी के साहस और उनकी कूटनीतिक सूझबूझ को दुनिया के सामने जाहिर किया।

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1962 की लड़ाई के बाद 1965 में चीन ने भारतीय सैनिकों पर तिब्बत की 800 भेड़ें और 59 याक चुराने का आरोप लगाया था। चीन ने यह जानवर भारत से वापस मांगे और ऐसा न करने की स्थिति में सबक सिखाने की धमकी दी। यह मामला बेहद संगीन होता गया। और एक समय यह लगा कि भारत और चीन के बीच फिर से लड़ाई छिड़ जाएगी।

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रदर्शन

अटल बिहारी वाजपेयी उस समय सांसद थे। चीन इस बेतुके आरोप का विरोध करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली में चीन के दूतावास में भेड़ों का झुंड लेकर चले गए। वहां प्रदर्शन क्र रहे लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चीन भेड़ों और याक पर विश्व युद्ध शुरू करेगा।

सामने आया चीन का चेहरा

अटल बिहारी वाजपेयी के इस कदम से चीन परेशान हो गया। इस प्रदर्शन से चीन की ओछी हरकत खुलकर आ गई थी। इसके बाद चीन सरकार ने बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास को एक चिट्ठी भेजी गई जिसमें आरोप लगाया कि वाजपेयी का विरोध प्रदर्शन असल में भारत सरकार द्वारा समर्थित था। इसके जवाब में भारत सरकार ने लिखा कि यह सब एक प्रोपेगेंडा है।

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अंत में झुका चीन

वाजपेयी के 'भेड़ प्रदर्शन' से घबरा कर अंत में चीन ने इस मामले में सरेंडर कर दिया। चीन ने भारतीय दूतावास लिखा, "चीन 26 सितंबर की चिट्ठी में नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में भारतीय लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन का विरोध करता है। भारत सरकार का इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। चीन यह मनाता है कि यह भारतीय नागरिकों द्वारा शांतिपूर्ण मजाकिया तरीके से किया गया प्रदर्शन था।"