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Buddha Purnima 2021: ज्ञान की प्राप्ति के लिए राजकुमार सिद्धार्थ ने छोड़ दिया था राजपाट, जानिए बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि शांति की खोज के लिए उन्होंने 27 वर्ष की उम्र में घर परिवार को छोड़ दिया था। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महात्मा बुद्ध को गया के बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुआ थी।  

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Buddha Purnima

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नई दिल्ली। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ। इसलिए बौद्ध धर्म में ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। गौतम बुद्ध का जन्म का नाम सिद्धार्थ गौतम था। गौतम बुद्ध एक आध्यात्मिक गुरु थे, जिनकी शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। ऐसी मान्यता है कि हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है।

तपस्वी बनने से रोकने के लिए राजमहल में ही रखा
गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था। बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था। उनका पालन पोषण उनकी मौसी गौतमी ने किया था। उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ रखा गया था। शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन सिद्धार्थ के पिता थे। सिद्धार्थ के जन्म से पूर्व हुई भविष्यवाणी से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें तपस्वी बनने से रोकने के लिए राजमहल के अंदर ही रखा। गौतम राजसी विलासिता में पले-बढ़े, बाहरी दुनिया से आक्रांत, नृत्य करने वाली लड़कियों द्वारा मनोरंजन, ब्राह्मणों द्वारा निर्देशन, और तीरंदाजी, तलवारबाजी, कुश्ती, तैराकी और दौड़ में प्रशिक्षित किए गए थे।

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सत्य की खोज के लिए छोड़ दिया राजस ठाठ बाट
ऐसा कहा जाता है कि शांति की खोज के लिए उन्होंने 27 वर्ष की उम्र में घर परिवार को छोड़ दिया था। भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ सारनाथ पहुंचे। जहां पर उन्होंने धर्म परिवर्तन किया। यही इन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या की। जिसके बाद इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए। स्वयं ने सत्य की ज्योति प्राप्त की, प्रेरक जीवन जीया और फिर जनता में बुराइयों के खिलाफ आवाज बुलन्द की। सम्राट अशोक ने भी बौद्ध मत को स्वीकार किया और युद्धों पर रोक लगा दी। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महात्मा बुद्ध को गया के बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुआ थी।

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बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए खास है अपितु भारत में सनातन धर्म मानने वालों के लिए भी यह विशेष महत्व रखती है। पौराणिक मान्यता है कि गौतम बुद्ध ने ही भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं। यही कारण है कि सनातन धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा बेहद पवित्र मानी जाती है। देश के कई इलाकों में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बुद्ध पूर्णिमा को उत्सव के रूप मे मनाते हैं। बौद्ध और हिंदू दोनों ही धर्मों के लोग बुद्ध पूर्णिमा को श्रद्धा के साथ मनाते हैं। ये पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।