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Dev Uthani Ekadashi 2020: देवउठनी ग्यारस में पूजा के दौरान क्यों जरूरी होता है सूप और गन्ना, जाने इसके पीछे की खास वजह

देवउठनी एकादशी 25 नवंबर, बुधवार को है भगवान विष्णु चार माह की निद्रा से जागते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।

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Dev Uthani Ekadashi 2020

Dev Uthani Ekadashi 2020

नई दिल्ली। दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस पर्व का भी बड़ा महत्व है। इस दिन देव नारायण भगवान विष्णु आपनी चार माह की निद्रा को पूरा करके उठते है। इसलिए इस दिन को देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और इसके बाद से सभी शुभ काम शुरू किए जाते हैं।

देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। लोग हर तरह का प्रसाद चढ़ाकर उन्हें खुश करने की कोशिश करते है लेकिन इन्ही प्रसाद के बीच सूप और गन्ने का विशेष महत्व होता है। इसके बिना पूजा अधुरी मानी जाती है। इसके पीछे का कारण यह है कि एकादशी के समय ही किसान अपनी फसलों की कटाई करते हैं। और कटाई से पहले गन्ने की विधिवत पूजा की जाती है और इसे विष्णु भगवान को चढ़ाया जाता है।

देव उठनी एकादशी में सूप पीटने की भी अलग परंपरा है। कहते है कि इस दिन भगवान विष्णु की नींद पूरा होती है और वे जागते हैं। महिलाएं उनके घर में आने की कामना करते हुए सूप पीटकर घर की दरिद्रता को बाहर भगाती हैं। यह परंपरा आज भी चली आ रही है। तुलसी जी को विष्णु जी को शाली ग्राम का अवतार कहा जाता है सलिए लोग तुलसी के साथ भगवान विष्णु का पूजा करते है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है।