
शनि देव को नवग्रहों में न्यायाधीश का दर्जा
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि देव को नवग्रहों में न्यायाधीश का दर्जा प्राप्त है। वे लोगों को उनके कर्मानुसार दंड देते हैं। शनि का नाम सुनते ही ज्यादातर लोग कांप उठते हैं जबकि वे केवल बुरे कर्मों की सजा देते हैं, अच्छे कर्म करनेवालों पर तो उनकी कृपा बरसती है। शनि की कृपा प्राप्त लोगों का जीवन प्रायः बेहद संघर्षपूर्ण होता है पर कठिन राह पर चलते हुए ऐसे लोगों को आखिरकार छप्परफाड़ कामयाबी मिलती है। ऐसे लोग प्रायः बहुत निम्न स्तर से अपने जीवन की शुरुआत करते हैं लेकिन तमाम कठिनाइयों का मुकाबला करते हुए अंततः अपना लक्ष्य प्राप्त करने और ऊँचे मुकाम हासिल करने में सफल होते हैं।
ज्योतिषियों के अनुसार शनि की जिनपर कृपा रहती है ऐसे लोगों में कुछ खास लक्षण रहते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित अरूण बुचके बताते हैं कि शनिकृपा प्राप्त व्यक्ति अक्सर अकेला रहता है। ये भीड़भाड़ को पसंद ही नहीं करते और सार्वजनिक उत्सव आदि में भी अकेले ही रहते हैं। ऐसे लोगों के दोस्तों की संख्या भी बहुत कम होती है। परिवार में भी अन्य भाई-बहनों से भी अलग थलग से रहते हैं।
ऐसे लोगों की सबसे बडी विशेषता यह होती है कि ये अन्याय बर्दाश्त नहीं करते। वे छल कपट बिल्कुल पसंद नहीं करते। ऐसे लोग कभी किसी को धोखा नहीं देते। समाज की कुरीतियों का विरोध करते हैं और सुधार की भी कोशिश करते हैं। गरीबों, खासकर मजदूर वर्ग के हितैषी होते हैं।
ऐसे लोगों को प्रायः पैरों में मोच आने, पैर की हड्डी टूटने जैसी परेशानियां होती रहती हैं। कमर में दर्द रहना, मसल्स क्रैक आदि की समस्याएं भी बनी रहती हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई शनिकृपा प्राप्त व्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह बताते हैं कि ऐसे लोग हमेशा खुद के बल पर ही आगे बढ़ते हैं। जीवन में कितनी भी बुरी परिस्थिति हो, वे किसी की मदद लेना पसंद नहीं करते।
शनिदेव के परम प्रिय होने के कारण ऐसे व्यक्ति कर्मप्रधान होेते हैं और अपनी मेहनत के बल पर ही उपलब्धि पाते हैं। शनिदेव इन्हें ख्याति भी खूब देते हैं। ऐसे लोग अक्सर विवाह नहीं करते। सबसे खास बात यह भी है शनि कृपा प्राप्त ऐसे व्यक्तियों को 36 वर्ष की उम्र के बाद से ही सफलता मिलती है।
Published on:
23 Jan 2024 01:00 pm
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