
Know the Rules For Jagannath Puri Temple Darshan Booking: हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना शुरू होने वाला है। हिन्दू कैलेंडर में यह साल का चौथा महीना होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ का यह महीना जून-जुलाई के महीने में आता है। आषाढ़ का यह महीना कई व्रत-त्योहारों का महीना होता है। इस महीने में पडऩे वाली पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। तो तमिलनाडु में इस महीने की अमावस्या का बेहद महत्व माना जाता है। हालांकि इस महीने में व्रत-त्योहार कम ही आते हैं। क्योंकि इस महीने में पडऩे वाली देवशयनी एकादशी पर कोई से भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं इस महीने की खासियत यह भी है कि आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। इस बार 2023 में यह यात्रा 20 जून को निकाली जाएगी। अगर आप भी इस यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं, तो इस लेख को ध्यान से पढ़ लें...पत्रिका.कॉम के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं भगवान जगन्नाथ के पुरी की रथ यात्रा में शामिल होने के नियम, कैसे करें बुकिंग, कैसे पहुंचे और अन्य दर्शनीय स्थल कौन से हैं, जहां आपको जरूर जाना चाहिए...
दुनिया भर में प्रसिद्ध है पुरी का जगन्नाथ मंदिर, रहस्य जानकर हैरान रह जाएंगे आप
यदि आप जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं, तो आपको बता दें कि यहां भगवान श्री कृष्ण अपने जगन्नाथ रूप में विराजे हैं। वे अपने बहन-भाई के साथ यहां विराजे हैं। रथ यात्रा के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। वहीं यहां स्थापित भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा की प्रतिमाएं अपने आप में ही अनूठी हैं, इनकी भी अपनी ही कहानी है। वहीं इस मंदिर की एक हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि दिन में किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई धरती पर कहीं नहीं बनती। कहा जाता है कि इसकी रचना वास्तु के अनुसार इस प्रकार हुई है कि इसके गुंबद की छाया धरती पर कहीं भी दिखाई नहीं देती है, क्योंकि जब छाया पड़ती है तो, मंदिर के ऊपरी हिस्से ही इससे आच्छादित हो जाते हैं।
पुरी में कौन सी यात्रा निकाली जाती है?
हर साल आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। पुरी रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से शुरू होती हैं। इस रथ यात्रा में तीन रथ होते हैं, पहला श्रीकृष्ण यानी जगन्नाथजी का दूसरा बलभद्र यानी बलरामजी का और तीसरा सुभद्रा जी का।
जगन्नाथ पुरी का प्रसाद क्या है?
एक सूखा प्रसाद और दूसरा गीला प्रसाद। सूखे प्रसाद में नारियल, लड्डू या सूखी मिठाई होती है, जबकि गीले में मिक्स चावल, साग-भाजा और सब्जी होती है। साथ ही मालपुआ भी होता है।
रथ यात्रा में कैसे शामिल हों
रथ यात्रा में रथ खींचने का कार्यक्रम दोपहर के बाद ही होता है। अगर आपने होटेल कहीं दूर लिया है तो आप रथ यात्रा शुरू होने से 2-3 घंटे पहले पहुंचे क्योंकि रथ यात्रा से पहले आसपास की सभी सड़कों को ब्लॉक कर दिया जाता है। पुलिस की भारी संख्या होने के कारण केवल एंबुलेंस ही उस सड़क से गुजर सकती है। अगर आपने रथ यात्रा के रूट के आसपास ही होटेल लिया है तो आराम से लंच करके 2 बजे तक पहुंचे।
बच्चों को रथ यात्रा से दूर रखें
रथ यात्रा के दौरान भारी भीड़ होती है ऐसे में बड़ों को भी भीड़ से परेशानी हो सकती है इसलिए बच्चों को रथ यात्रा में शामिल न करें। अगर आपको भी ज्यादा भीड़ से परेशानी होती है तो रथ यात्रा को टीवी पर ही देखें।
अब हम आपको बता रहे हैं जगन्नाथ पुरी के उन मंदिरों और शक्तिपीठ के बारे में जहां आपको जरूर जाना चाहिए...
भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर के आसपास करीब 30 छोटे मंदिर भी हैं जिन्हे देखने श्रद्धालु जाते हैं। अगर आपके पास समय की कमी है तो आप तीन मुख्य मंदिर में जरूर जाएं।
गुंडीचा मंदिर
पुरी में जगन्नाथ मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही गुंडीचा मंदिर है। यहां लोकनाथ मंदिर, लिंगराज मंदिर और अलारनाथ मंदिर देखना न भूलें।
बेड़ी हनुमान मंदिर
जगन्नाथ मंदिर के सामने समुद्र के पास बेड़ी हनुमानजी का मंदिर है। माना जाता है कि यहां हनुमानजी पुरी और मंदिर की रक्षा करने के लिए ही विराजे हैं।
विमला शक्तिपीठ
भारतीय प्रदेश उड़ीसा के विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता की नाभि गिरी थी। यह स्थान विमला शक्तिपीठ कहलाया। विमला शक्तिपीठ जगन्नाथ मंदिर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में पूर्व दिशा की ओर है। मार्कण्डेय तालाब के पास पुरी में एक सप्त मातृका मंदिर भी है। कुछ लोग इस मंदिर को भी शक्तिपीठ मानते हैं, लेकिन विमला मंदिर ही मूल शक्तिपीठ माना गया है। इस शक्तिपीठ को विराज शक्तिपीठ भी कहा जाता है। हालांकिन विराज शक्ति पीठ उड़ीसा के जाजपुर में स्थित है।
कोणार्क सूर्य मंदिर
पुरी के जगन्नाथ मंदिर से केवल 34 किलोमीटर की दूरी पर ही कोणार्क सूर्य का मंदिर है। यह मंदिर दुनिया भर में अपनी पहचान रखता है। इसलिए अगर आप जगन्नाथ पुरी जा रहे हैं, तो कोणार्क का यह सूर्य मंदिर देखना न भूलें।
ये भी है खूबसूरत स्थल
समुद्री तट
पुरी में पुरी बीच, मरीन ड्राइव पुरी और बालीघई बीच सबसे फेमस समुद्री तट या बीच हैं। इसके अलावा चंद्रभागा बीच, गोल्डन बीच, स्वर्गद्वार बीच और बलिहाराचंडी बीच भी लोकप्रिय बीच में शामिल हैं। इन सभी समुद्र तटों पर कई सुंदर एक्टिविटीज भी कराई जाती हैं।
नंदनकानन चिड़ियाघर
नंदकानन चिड़ियाघर यहां का फेमस चिड़ियाघर है। यह चिड़ियाघर देश का दूसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर माना जाता है। यहां आप सफेद शेरों के अलावा, सैकड़ों जंगली जानवरों को भी देख सकते हैं।
चिल्का झील
यह यहां की सबसे बेस्ट नेचुरल लेक है। इसकी सुंदरता यह है कि यह आपको समुद्र में मिलती हुई नजर आती है। इस संगम तक पहुंचने के लिए आपको नाव की सवारी करनी होती है। बहती हुई झील में नाव पर सवारी करते हुए प्रकृति की सुंदरता आपके मन को न केवल खुश कर देगी बल्कि सुकून से भी भर देगी।
नरेंद्र टैंक
नरेंद्र पोखरी, इसे नरेंद्र टैंक भी कहते हैं। यह एक विशाल और पवित्र तालाब है, जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दंडी माला साही क्षेत्र में बना हुआ है।
पूरी जाने का सबसे अच्छा मौसम
ज्यादातर लोग पुरी जाने के लिए जून का महीना ही चुनते हैं, ताकि वे जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल हो सकें। लेकिन इस समय यहां बहुत भीड़ होती है। ऐसे में अगर आप केवल घूमनेे के लिए ही यहां जाना चाहते हैं, तो अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय यहां आने के लिए बेस्ट है।
पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी
पुरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी करीब 2 किलोमीटर है।
पुरी की मशहूर चीजें
पुरी में जगन्नाथ का मंदिर, जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा, यहां का प्रसाद, छेना पोडा, चुंगडी मलाई, कनिका, पाखरा भाटा, दाल्मा, सनतुला और रसगुल्ला फेमस है। इसके अलावा यहां के बेड़ी हनुमान की मूर्ति और नीलगिरी की पहाडिय़ां भी बेहद प्रसिद्ध है।
पुरी के लिए कितने दिन चाहिए?
यदि आप जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होते हुए पूरे पुरी क्षेत्र में घूमना चाहते हैं, तो आपको कम से कम 4 रातें और 5 दिन का समय लेकर चलना चाहिए।
यहां जानें किराया और कैसे पहुंचें ये भी?
- पुरी जाने के लिए आप सड़क, रेलवे और हवाई तीनों ही साधनों का लाभ लेकर यहां पहुंच सकते हैं।
- देश के हर बड़े शहर से पुरी का रेलवे स्टेशन जुड़ा हुआ है।
- अगर आपके शहर से डायरेक्ट पुरी जाने के लिए कोई ट्रेन नहीं है तो, आप ट्रेन से भुवनेश्वर पहुंचकर पुरी के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
- भुवनेश्वर से पुरी की दूरी केवल 60 किलोमीटर है और पूरी रेलवे स्टेशन से जगन्नाथ मंदिर की दूरी केवल 2 किलोमीटर।
- यदि आप हवाई जहाज से पुरी जाना चाहते हैं, तो भुवनेश्वर एयरपोर्ट सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से आप पुरी रेलवे स्टेशन तक जाएं। फिर टे्रन या सड़क मार्ग से पुरी मंदिर पहुंच सकते हैं।
पुरी में कहां ठहरें?
पुरी जगन्नाथ मंदिर क्षेत्र में ठहरने के लिए आपके पास 4 विकल्प हैं-
1. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से बने भक्ति निवास।
2. धर्मशाला।
3. प्राइवेट होटल।
4. पुरी का मरीन ड्राइव लाइन।
-आप अपनी सुविधा और बजट के हिसाब से यहां रुकने का ऑप्शन चुन सकते हैं।
रथ यात्रा में भाग लेने पहले से करनी होगी बुकिंग
यदि आप जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं, तो आपको इसके लिए पहले से ही बुकिंग करनी होगी। आप ऑफिशियल वेबसाइट पर ट्रस्ट के रूम बुक करा सकते हैं।
पुरी जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश कैसे करें?
इस मंदिर में केवल हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है। प्रवेश के लिए सिंह द्वारा ही एकमात्र द्वार है। यहां पर प्रवेश के लिए आपको आधार कार्ड साथ रखना जरूरी है। इसके साथ ही आपको प्रवेश के कई नियमों का पालन करना होता है।
Updated on:
02 Jun 2023 06:08 pm
Published on:
29 May 2023 05:57 pm
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